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________________ ३०८ गो० जीवकाण्डे तिविपंचपुण्णपमाणं पदरंगुलसंखभागहिदपदरं । हीणकमं पुण्णूणा बिति चपजीवा अपज्जत्ता ॥१८०॥ त्रिद्विपंचचतुःपूर्णप्रमाणं प्रतरांगुलसंख्येयभागहृतप्रतरो। हीनक्रमः पूर्णोनाः द्वित्रिचतुःपंचेंद्रियजीवाः अपर्याप्ताः। त्रिद्विपंचचतुरिंद्रियपर्याप्तराशिप्रमाणं प्रतरांगुलसंख्येयहृतजगत्प्रतरप्रमितमक्कु ४ मिल्लि त्रींद्रियादिगळुक्तक्रमदिदं हीनक्रमंगळप्पुवु। इल्लियं पूर्वोक्तक्रमदिदं बहभागे समभागो चउण्णमेदेसिमेक्कभागम्हि । उत्तकमो तत्थ वि बहुभागो बहुगस्स देओ दु॥ एंदी सूत्रोक्तक्रमदिदं त्रींद्रियद्वींद्रिय पंचेंद्रियचतुरिद्रियऽपर्याप्तकंगळ्ये विभागिसिद न्यासमिदु : ति = ८ बि = ८ प = ८ । च = ८ ई राशिगळं ४।४।९ ४।४।९ ४।४।९ ४।४।० ८ १९ ४।९।९ ६९६९ ४९९९ ६६६९५ ९९९९ १९६९९ ९९९९ समच्छेदमं माडि कूडिद न्यासमिदु : त्रिद्विपञ्चचतुरिन्द्रियपर्याप्त राशिप्रमाणं प्रतराङ्गलसंख्येयभागभक्तजगत्प्रतरप्रमितं भवति = अत्र त्रीन्द्रि यादय उक्तक्रमेण हीनक्रमा भवन्ति । अत्रापि 'बहुभागे समभागो' इत्यादिसूत्रोक्तक्रमेण त्रिद्विपञ्च चतुरिन्द्रियपर्याप्तकानां विभक्तस्य विन्यासोऽयम ति - = ८ | lix ४।४। ८ ४ । ४ । ९ ४।४।९ ५ - ८ = ८ ४।९।९ ॥" ४ । ९९९९ समच्छेदेन मिलितानां न्यासोऽयम् । दो। अपने-अपने पीछेकी राशिको अपनी-अपनी पहली राशिमें मिलानेसे दोइन्द्रिय आदिकी संख्या आती है ॥१७९॥ पर्याप्त तेइन्द्रिय, दोइन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीव राशिका प्रमाण प्रतरांगुलके २५ संख्यातवें भागसे भाजित संख्यातवें भागसे भाजित जगतप्रतर प्रमाण है। इनमें सबसे अधिक तेइन्द्रिय हैं। उनसे कम दोइन्द्रिय हैं। उनसे कम पंचेन्द्रिय हैं और उनसे कम चौइन्द्रिय हैं। यहाँ भी पूर्वोक्त 'बहुभागे समभागो' इत्यादि सूत्रमें कहे अनुसार विभाग करना। अर्थात् सामान्य पर्याप्त त्रसराशिमें आवलीके असंख्यातवें भागसे भाग देकर एक भागको अलग रखकर शेष बहुभागके चार समान भाग करके एक-एक भाग तेइन्द्रिय, दोइन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
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