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- प्रकाशकीय निवेदन -
षट्खंडागम धवला सिद्धान्त ग्रंथके पंचम खण्डमें ( वर्गणाखण्ड ) अर्थात् सोलहवें पुस्तकमें मोक्षादि चौदह अनुयोगद्वारोंका वर्णन किया गया है ।
इस ग्रंथका पूर्व प्रकाशन श्रीमंत सेठ लक्ष्मीचन्द्र जैन साहित्योद्धारक सिद्धान्त ग्रन्थमाला, विदिशा द्वारा हुआ है। उसे मूल ताडपत्र ग्रंथसे मिलानकर उसकी संशोधित पाठसहित द्वितीयावृत्ति प्रकाशनाधिकार प्राप्त जीवराज जैन ग्रंथमाला द्वारा प्रकाशित करने में हम अपना सौभाग्य समझते है ।
स्व. ब्र. रतनचंदजी मुख्तार । सहारनपुर) तथा पं. जवाहरलालजी सिद्धान्त शास्त्री (भिंडर) इनके द्वारा भेजे हुए संशोधनका भी इस संशोधनकार्यमें हमें सहयोग मिला जिसके लिए हम सभी सज्जनोंके अतीव आभारी है।
इस ग्रंथका प्रूफ संशोधन कार्य जीवराज जैन ग्रंथमालाके संपादक श्री पं. नरेंद्रकुमार भिसीकर शास्त्री तथा श्री. धन्यकुमार जैनी द्वारा संपन्न हुआ है । तथा मुद्रणकार्य कल्याण प्रेस, सोलापुर इनके द्वारा संपन्न हुआ है। हम इनके भी आभार प्रदर्शित करते हैं।
___ धर्मानुरागी श्रीमान् डॉ. अप्पासाहेब कलगोंडा नाडगौडा पाटील तथा उनकी धर्मपत्नी डॉ. सौ. त्रिशलादेवी नाडगौडा पाटील इन महानुभावोंने षखंडागम धवला पुस्तक १० से १६ तकके पुनर्मुद्रण के लिए आर्थिक सहयोग देकर जिनवाणीकी सेवाका जो महान् आदर्श उपस्थित किया इसके लिए उनका हार्दिक अभिनंदन करते हुए हम उनके सहयोग के लिए अनेकशः धन्यवाद प्रकट करते हैं।
रतनचंद सखाराम शहा
मंत्री
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