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________________ परिशिष्ट १.३२ द्विगणहानि द्रव्य निबन्धन १५.२ । द्रव्याथिकनय ४.३,१४५, । द्विस्थानिक अनुभागवेदक द्रव्यपरिवर्तन ४.३२५ १७०,३२२,३६७,४४४; ६.२१३ द्रव्यप्रकृति १३.१९८,२०३ | ७.३,१३; ८.३; १०-२२, द्विस्थानिक अनुभाग सत्कमिक द्रव्यप्रक्रम १५.१५ ४५०; १६.४८५ ६.२०९ द्रव्यप्रमाण ___३.१० द्रव्यार्थिकप्ररूपणा ४ २५९ द्विस्थानी ८२ ५५,२७२ द्रव्यप्रमाणानुमम द्रव्याल्पबहुत्व ५.२४१ / द्वीन्द्रिय १.२४१,२४८,२६४, द्रव्यासंख्यात ३.१२३/ ७ ६४,८९; १४.३२३ द्रव्यबन्ध १४.५७ द्रव्येन्द्रिय १२३२ द्वीन्द्रियकार्मणशरीरबाध द्रव्यबन्धक द्वन्द्वसमास १४.४३ द्रव्यभावप्रमाण ३.३९ द्वादशांग ९.५६,५८/द्वन्द्रिय जाति १.६८ द्रव्यमन १.२५९ | द्विगुणश्रेणिशीर्ष १५.६९७ | द्वीन्द्रिय जातिनाम १३.३६७ द्रव्यमल ६.१५३ | द्वीद्रियतैजस कार्मणशरीरबन्ध द्रव्यमोक्ष १६.३३७ द्विगुणादिकरण ३.७७,८', १४.४३ द्रव्यमंगल १.२०,३२ ३.७ द्वीन्द्रियतैजसशरीरबध१४.४३ द्रव्ययुति १३.४८ | द्विचरमसमानवृद्धि ९३४ | द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रियशरीरबन्ध द्रव्यलिंग ४.२०८ | द्वितीय दण्ड ७.३१३,३१५ १४.४३ द्रव्यलिंगी ४.४२७,४२८; द्वितीय दण्डस्थित ४.७२ / द्वीन्द्रियशरीर १४.७८ ५.५८,६३,१४९ द्वितीय पृथिवी ४.८९ / द्वीप १३.३०८ द्रव्यलेश्या १६.४८४ द्वितीय संग्रहकृष्टिअतर६.३७७ द्वीपसागरप्रज्ञप्ति १.११०; द्रव्यवर्गणा १४.५२ द्वितीय स्थान ९.२,६ द्रव्यविष्कम्भसूची ११.११३ ५.२६३ द्वितीय स्थिति ६.२३२,२५ द्रव्यवेदना १२.२१ १०.७ द्वितीयाक्ष ७४५ | द्वेष १२.२८३ द्रव्यश्रुत ८.९१ द्विपद १३.३९१ द्वयर्धगुणहानि ६१५२ द्रव्यसूत्र द्विप्रदेशीय परमाणु पुद्गल द्रव्यस्पर्श १३.३,११,३६ द्रव्यस्पर्शन द्रव्यवर्गणा १४.५५ धन ४ १५९; १०.१५० ४.१४१ द्विप्रदेशीय वर्गणा १४.१२२ धनुष द्रव्यसंक्रम ४.४५,५७ १६.३३९ द्विमात्रा द्रव्यसंयम १४.६२ धरणी ६.४६५,४७३; १३.२४३ द्विरूपधारा ३.५२ धरणीतल ४.२३६ द्रव्यसंयोग द्विसमयाधिकावली ४.३३२|धर्म ४.३१९:८.९२ ९.१३७ द्रव्यसंयोगपद द्विस्कन्ध द्विबाहुक्षेत्र ४.१८७, | धर्मकथा ९.२६३ ; १३.२०३; ९.१३८ द्रव्यान्तर २१८ १४.९ द्रव्यानन्त ३.१३ द्विस्थान दण्डक ८.२७४ | धर्मद्रव्य ३.३,१३.४३,१५.३३ द्रव्यानुयोग १.१५८; ३.१ | द्विस्थानबन्धक ११.३१३ | धर्मास्तिद्रव्य १०.२३६ द्रव्यार्थता १३.९३ | द्विस्थानिक १५ १७४,१६ ५३९ / धर्मास्तिकायानुभाग १३.३४९ द्रव्याथिक १.८३ ; ४.१४१; द्विस्थानिक अनुभागबन्धक धर्म्यध्यान १३.७०,७४,७७ ९.१६७,१७० ६.२१० | धर्म्यध्यानफल १३ ८०,८१ सायन ७.९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001815
Book TitleShatkhandagama Pustak 16
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1995
Total Pages348
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size8 MB
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