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________________ अप्पाबहुअणुयोगद्दारं ठिदिसंतकम्मसामित्तं ( ५३५ वत्तव्वं । एवमुक्कस्सट्ठिदिसंतकम्मसामित्तं समत्तं । ___जहण्णट्ठिदिसंतकम्मसामित्तं कस्सामो । तं जहा-पंचणाणावरण-चउदंसणावरणपंचंतराइयाणं जहण्णयं ट्ठिदिसंतकम्म कस्स ? चरिमसमयछदुमत्थस्स । णिद्दापयलाणं जह० कस्स ? दुचरिमसमयछदुमत्थस्स । थीणगिद्धितियस्स जह० कस्स? अणियट्टिकरणे वट्टमाणस्स थीणगिद्धितियं संछुहिय समऊणावलियमइक्कंतस्स। सादासादाणं जहण्णटिदिसंतकम्मं कस्स ? चरिमसमयभवसिद्धियस्य अप्पिदपयडिवेदयस्स । मिच्छत्त-सम्मामिच्छत्त-बारसकसायाणं जह० कस्स ? अप्पिदकम्मेसु संछुद्धसुसमऊणावलियमइक्कंतस्सा सम्मत्त-लोहसंजलणाणं जहण्णढिदिसंतकम्मं कस्स? खवयस्स सम्मत्त लोहसंजलणाणं चरिमसमयवेदस्स । तिण्णिसंजलण-पुरिसवेदाणं जह० कस्स ? खवयस्स संछुद्धासु पयडीसु समऊणदोआवलियं गदस्स । इत्थिणवंसयवेदाणं जह० कस्स ? खवयस्स चरिमसमयवेदयस्स। मणुस-तिरिक्खाउआणं जह० कस्स ? जस्स पत्थि तदाउअबंधो तस्स चरिम पदसे शेष प्रकृतियोंके भी स्वामित्वको प्ररूपणा करना चाहिये। इस प्रकार उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्मका स्वामित्व समाप्त हुआ । जघन्य स्थितिसत्कर्मके स्वामित्वका कथन करते हैं। यथा-पांच ज्ञानावरण, चाय दर्शनावरण और पांच अन्तरायका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह अन्तिम समयवर्ती छद्मस्थ जीवके होता है । निद्रा और प्रचलाका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह द्विचरम समयवर्ती छद्मस्थ जीवके होता है। स्त्यानगृद्धि आदि तीनका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह अनिवृत्तिकरणमें वर्तमान जीवके होता है जिसने कि स्त्यानगृद्धित्रिकका निक्षेप करके एक समय कम आवलि काल को विताया है। साता और असाता वेदनीयका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह विवक्षित प्रकृतिका वेदन करनेवाले अन्तिम समयवर्ती भव्य सिद्धिक जीवके होता है। मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और बारह कषायोंका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? विवक्षित कर्मोंके निक्षिप्त हो जाने पर जिसने एक समय कम आवली कालको विता दिया है उसके उनका जघन्य स्थितिसत्कर्म होता है। सम्यक्त्व प्रकृति और संज्वलन लोभका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह ऐसे क्षपक जीवके होता है जो सम्यक्त्व और संज्वलन लोभका अन्तिम समयवर्ती वेदक होता है। शेष तीन संज्वलन और पुरुषवेदका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह उस क्षपक जीवके होता है जो इन प्रकृतियोंके निक्षिप्त हो जानेपर एक समय कम दो आवलियोंको विता चुका है। स्त्रीवेद और नपुंसकवेदका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है? वह उस क्षपक जीवके होता है जो इनका अन्तिम समयवर्ती वेदक है। __मनुष्यायु और तिर्यगायुका जघन्य स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? जिसके उन आयुओंका बन्ध नहीं हो रहा है उस अन्तिम समयवर्ती तद्भवस्थके उक्त दोनों आयु कर्मोंका जघन्य * अप्रतौ ' समऊणादो' इति पाठः। Jain Education International मप्रतिपाठोऽयम् । अ-का-ताप्रतिष 'तदाबंधो' इति पाठः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001815
Book TitleShatkhandagama Pustak 16
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1995
Total Pages348
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size8 MB
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