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________________ १६८ ) छक्खंडागमे संतकम्म संखेज्जगुणा। अवत्तव्वउदीरया असंखेज्जगुणा। अवठ्ठिदउदीरया असंखेज्जगुणा। असंखेज्जभागहाणिउदीरया संखेज्जगुणा, संखेज्जवासाउअरासीए पाहणियादो। देवगदिणामाए णिरयगइभंगो। तिरिक्खगइणामाए सव्वत्थोवा संखेज्जगुणहाणीए उदीरया। अवत्तव्वउदीरया असंखेज्जगुणा। संखेज्जभागहाणीए संखेज्जगुणा। संखेज्जगुणवड्ढीए असंखेज्जगुणा। संखेज्जभागवड्ढीए संखेज्जगुणा। असंखेज्जभागवड्ढोए अणंतगुणा । अवविदउदीरया असंखेज्जगुणा। असंखेज्जभागहाणीए संखेज्जगुणा। मणुसगदीए सव्वत्थोवा असंखेज्जगुणहाणीए उदीरया। संखेज्जगुणहाणिउदीरआ संखेज्जगुणा। संखेज्जभागहाणिउदीरया संखेज्जगुणा। अवत्तव्वउदीरया असंखेज्जगुणा। संखेज्जगुणवड्ढिउदीरया संखेज्जगुणा। संखेज्जभागवड्ढिउदीरया संखेज्जगुणा । असंखेज्जभागवड्ढिउदीरया संखेज्जगुणा । अवद्विदउदीरया असंखेज्जगुणा। असंखेज्जभागहाणीए संखेज्जगुणा। ओरालियसरीरस्स सव्वत्थोवा असंखेज्जगुणहाणीए उदीरया। संखेज्जगुणहाणीए असंखेज्जगुणा । संखेज्जभागहाणीए असंखेज्जगुणा । संखेज्जगुणवड्ढीए असंखेज्जगुणा। संखेज्जभागवडूढीए संखेज्जगुणा । अवत्तव्वउदीरया अणंतगुणा। असंखेज्जभागवड्ढीए संखेज्जगुणा । अवट्ठिदउदीरया असंखेज्जगुणा । असंखेज्जभागहाणीए संखेज्जगुणा । वेउव्वियसरीरस्स णिरयगइभंगो। आहारसरीरस्स असंख्यातगुणे हैं। असंख्यातभागवृद्धिउदीरक संख्यातगुणे हैं। अवक्तव्यउदीरक असंख्यातगुणे हैं। अवस्थितउदीरक असंख्यातगुणे हैं। असंख्यातभागहानिउदीरक संख्यातगुणे हैं, क्योंकि, यहां संख्यातवर्षायुष्क राशिकी प्रधानता है। देवगति नामकर्मकी यह प्ररूपणा नरकगतिके समान है। तिर्यंचगति नामकर्मके संख्यातगुणहानि उदीरक सबसे स्तोक हैं । अवक्तव्य उदीरक असंख्यातगणे हैं। संख्यातभागहानिउदीरक संख्यातगुणे हैं। संख्यातगुणवृद्धि उदीरक असंख्यातगणे हैं। संख्यातभागवृद्धिउदीरक संख्यातगुणे हैं । असंख्यातभागवृद्धिउदीरक अनन्तगुणे हैं। अवस्थितउदीरक असंख्यातगुणे हैं । असंख्यातभागहानिके उदीरक संख्यातगुणे हैं। मनुष्यगति नामकर्म के असंख्यातगुणहानिके उदीरक सबसे स्तोक हैं। संख्यातगुणहानिउदीरक संख्यातगुणे हैं। संख्यातभागहानिउदीरक संख्यातगुणे हैं। अवक्तव्य उदीरक असंख्यातगुणे हैं। संख्यातगुणवद्धिउदीरक संख्यातगुणे हैं। संख्यातभागवृद्धिउदीरक संख्यातगुणे हैं । असंख्यातभागवृद्धिउदीरक संख्यातगुणे हैं । अवस्थितउदीरक असंख्यातगुणे हैं। असंख्यातभागहानिके उदीरक संख्यातगुणे हैं। औदारिकशरीरके असंख्यातगुणहानिउदीरक सबसे स्तोक हैं। संख्यातगुणहानिके उदीरक असंख्यातगुणे हैं। संख्यातभागहानिके उदीरक असंख्यातगुणे हैं। संख्यातगुणवृद्धिके उदीरक असंख्यातगुणे हैं। संख्यातभागवृद्धिके उदीरक संख्यातगुणे हैं । अवक्तव्यउदीरक अनन्तगुणे हैं। असंख्यातभागवृद्धिके उदीरक संख्यातगुणे हैं। अवस्थितउदीरक असंख्यातगुणे हैं। असंख्यातभागहानिउदीरक संख्यातगुणे हैं। वैक्रियिकशरीरकी प्ररूपणा नरकगतिके समान है । आहारकशरीरके अवक्तव्यउदीरक सबसे स्तोक हैं। असंख्यातभागहानिके उदीरक संख्यातगुणे काप्रतावतः प्राक् ‘संखेज्जगुणा' इत्येतदधिक पदमुपलभ्यते । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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