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छक्खंडागमे संतकम्म
भहियाणि । एइंदियजादिणामाए अजहण्णटिदिउदीरणाकालो जहण्णण खुद्दाभवगहणं, उक्कस्सेण असंखेज्जा लोगा। बीइंदिय-तीइंदिय-चरिदिय-चिदियजादीणं जहण्णेण अंतोमुहत्तं, संखेज्जाणि वस्ससहस्साणि। णवरि पंचिदियजादिणामाए संखेज्जाणि सागरोवमाणि ।
ओरालियसरीरणामाए अजहण्णट्ठिदउदीरणाकालो जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंगुलस्स असंखेज्जदिभागो। वेउव्वियसरीरणामाए जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि सादिरेयाणि । आहारसरीरणामाए जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । तिण्णमंगोवंगाणमणुक्कस्सभंगो। पंचसंघाद-पंचबंधणाणं पि0 सग-सगसरीरभंगो । समचउरससंठाणणामाए जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण तेवट्ठि-सागरोवमसदं सादिरेयं । हुंडसंठाणणामाए जहण्णेण एयसमओ, उक्कस्सेण अंगुलस्स असंखेज्जदिभागो। सेसाणं संठाणाणं जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण पुव्वकोडिपुधत्तं । वज्जरिसहवइरणारायणणामाए जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण तिण्णि पलिदोवमाणि पुरवकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि । सेसाणं संघडणाणं अजहण्णढिदिउदीरणाकालो जहण्णण एगसमओ,
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नामकर्मकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे क्षुद्रभवग्रह और उत्कर्षसे असंख्यात लोक प्रमाण है। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंवेन्द्रिय जातिनामकर्मोंकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे संख्यात हजार वर्ष प्रमाण है। विशेष इतना है कि पंचेन्द्रियजाति नामकर्मकी उक्त उदीरणाका काल उत्कर्षसे संख्यात सागरोपम प्रमाण है।
औदारिकशरीर नामकर्मकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अंगुलके असंख्यातवें भाग मात्र है । वैक्रियिकशरीर नामकर्मकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे साधिक तेतीस सागरोपम प्रमाण है। आहारशरीर नामकर्मकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्य व उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है। तीन अंगोपांग नामकर्मोकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल उनकी अनुत्कृष्ट स्थितिउदीरणाके कालके समान है। पांच संघातों और पांच बन्धनोंकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल अपने अपने शरीरनामकर्मके समान है। समचतुरस्रसंस्थान नामकर्मकी अजघन्य स्थितिकी उदीरणाका जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे साधिक एक सौ तिरेसठ सागरोपम प्रमाण है। हण्डकसंस्थान नामकर्मकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समयं और उत्कर्षसे अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। शेष संस्थानोंकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्य एक समय और उत्कर्षसे पूर्वकोटिपृथक्त्व प्रमाण है। वज्रर्षभवज्रनाराचसंहननकी नामकर्मकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे पूर्वकोटिपृथक्त्वसे अधिक तीन पल्योपम प्रमाण है। शेष संहननोंकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय
४ मप्रतिपाठोऽयम् । काप्रती 'पसवादरचसघडणागं पि', ताप्रती 'पंचसंघाद-पंचसंघडणाणं पि Jain Education Internation: 1781194991 (पंचबंधण-पंचसंघादाणं पि)' इति पाठः ।..... 199) S ve: Personal Use Only
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