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________________ १२० ) छक्खंडागमे संतकम्म अणुक्कस्सटिदिउदीरणाकालो जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण छावद्धिसागरोवमाणि देसूणाणि। सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सद्विदिउदीरणाकालो जहण्णुक्कस्सेण एगसमओ। अणुक्कस्सट्ठिदिउदीरणाकालो जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । णवंसयवेदस्स उक्कस्सट्ठिदिउदीरणाकालो जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुत्तं।अणुक्कस्सट्ठिदिउदीरणाकालो जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा । इथिवेदस्स उक्कस्सद्विदिउदीरणाकालो जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण एगावलिया। अणुक्कस्सटिदिउदी रणाकालो जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण पलिदोवमसदपुधत्तं । पुरिसवेदस्स उक्कस्सद्विदिउदीरणाकालो जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण एगावलिया। अणुक्कस्सदिदिउदीरणाकालो जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण सागरोवमसदपुधत्तं । .. चदुण्हमाउआणमुक्कस्सद्विदिउदीरणाकालो जहण्णुक्कस्सेण एगसमओ। अणुवकस्सटिदिउदीरणाकालो गिरय-देवाउआणं जहण्णण दसवस्ससहस्साणि आवलियूणाणि, उक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि समयाहियआवलियाए ऊणाणि । तिरिक्खाउअस्स अणुक्कस्सटिदिउदीरणाकालो जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणमावलियूणं, उक्कस्सेण तिण्णि पलिदोवमाणि समयाहियआवलियाए ऊणाणि । मणुस्साउअस्स अणुक्कस्सदिदिउदीरणाकालो जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण तिण्णि पलिदोवमाणि समयाहियावलियाए ऊणाणि । काल जघन्य व उत्कर्षसे एक समय मात्र है। उसकी अनुत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे कुछ कम छयासठ सागरोपम है । सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिउदीरणाका काल जघन्यसे व उत्कर्षसे एक समय मात्र है । उसकी अनुत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्य व उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है । नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त है । उसकी अनुत्कृष्ट स्थितिकी उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे असंख्यात पुसलपरिवर्तन प्रमाण है । स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट स्थितिकी उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे एक आवली प्रमाण है । उसकी अनुत्कृष्ट स्थितिकी उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे पल्योपमशतपृथक्त्व प्रमाण है। पुरुषवेदकी उत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे एक आवली मात्र है। उसकी अनुत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे सागरोपमशतपृथक्त्व प्रमाण है। चार आयु कर्मोकी उत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे व उत्कर्षसे एक समय मात्र है । नारकायु और देवायुकी अनुत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यतः एक आवलीसे कम दस हजार वर्ष और उत्कर्षत: एक समय अधिक आवलीसे हीन तेत्तीस सागरोपम है। तिर्यंचआयुकी अनुत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे आवली कम क्षुद्रभवग्रहण और उत्कर्षसे एक समय अधिक आवलीसे हीन तीन पल्योपम है । मनुष्यआयुकी अनुत्कृष्ट स्थितिउदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे एक समय धिक आवलीसे हीन तीन पल्योपम प्रमाण है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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