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________________ .४७८) छपखंडागमे बग्वणा-खंड ( ५, ६, ६०१ ..... णिरंतरवक्कमणकालविसेसो असंखेज्जगुणो ॥ ६०१ ।। पढमवक्कमणकंदयजहणकाले तस्सेव उक्कस्सकालम्हि सोहिदे सेसो णिरंतर. वक्कमणकालविसेसो णाम । सो असंखेज्जगणो । को गुणगारो? आवलियाए असं - खेज्जदिभागो । . . सांतरणिरंतरवक्कमणकालविसेसो विसेसाहिओ ।। ६०२ ॥ केत्तियमेत्तेण ? सांतरवक्कमणकालविसेसमेत्तेण । जहण्णपदेण सांतरसमयवक्कमणकालो असंखेज्जगुणो। ६०३ । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो । उक्कस्सपदेण सांतरसमयवक्कमणकालो विसेसाहिओ । ६०४ । केत्तियमेत्तेण ? सांतरवक्कमणकालविसेसमेत्तेण । जहण्णपदेण णिरंतरसमयवक्कमणकालो असंखेज्जगुणो ।६०५। को गुणगारो? आवलियाए असंखेज्जदिभागो । उक्कस्सपदेण* णिरंतरसमयवक्कमणकालो विसेसाहिओ।६०६। केत्तियमेत्तेण ? णिरंतरवक्कमणकालविसेसमेतण । निरन्तर उपक्रमण कालविशेष असंख्यातगुणा हैं ।। ६०१ ।। प्रथम उपक्रमण काण्डकके जघन्य कालको उसीके उत्कृष्ट कालमें से घटा देने पर जो शेष रहे वह निरन्तर उपक्रमण काल विशेष कहलाता है। वह असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है । सांतर-निरन्तर उपक्रमण कालविशेष विशेष अधिक है। ६०२ ।। कितना अधिक है ? सान्तर उपक्रमण कालविशेषका जितना प्रमाण है उतना अधिक है। जघन्य पदकी अपेक्षा सान्तर समय उपक्रमणकाल असंख्यातगणा है । ६०३ ' गुणकार क्या है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा सान्तर समय उपक्रमण काल विशेष अधिक है ।६०४। कितना अधिक है ? सांतर उपक्रमण कालविशेषका जितना प्रमाण है उतना अधिक है। जघन्य पदकी अपेक्षा निरन्तर समय उपक्रमण काल असंख्यातगणा है।६०५। गुणकार क्या है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा निरन्तर समय उपक्रमण काल विशेष अधिक है।६०६॥ कितना अधिक है ? निरन्तर उपक्रमण कालविशेषका जितना प्रमाण है उतना अधिक है। * अ० प्रती 'उक्करमपदे ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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