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________________ १९४ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड ( ५, ६, ११६ संपहि एत्थ वड्दिपक्खेवपमाणमेत्तियं होदि (रूवण) गुणहाणिगच्छदुगुणसंकलणासंकलणपमाणत्तादो। एदम्मि किंचूणत्तमजोइय पुटिवल्लदव्वादो अवणिदे सेसमेत्तियं होदि | ०९८८२ | । पुणो एदम्मि जवमज्झपमाणेण कदे एत्तियं होदि १८/२६ । पुणो एदम्मि पढमगुणहाणिदब्वे अद्ध *गुणहाणिदवम्मि मेलाविदे एत्तियं होदि २७/२९ । जवमज्झादो उवरि अद्धगुणहाणिदव्वमेत्तियं होदि ||३७ । एवं हेटुिमदवम्मि पविखत्ते एत्तियं होदि | ८१४७ । अब यहाँपर बढे हुए प्रक्षेपोंका प्रमाण इतना होता है-/०२/१४ापत्र १८६ के विशेषार्थमें देखो- प्रथम गुणहानिके द्विचरम निषेकका प्रदेशाग्र ११२० जो चरम निषेकके प्रदेशाग्र ११५२ से दो प्रक्षेप (१६४२ % ३२) हीन है । त्रिचरम निषेकका प्रदेशाग्र १०५६ है जो चरम निषेकके प्रदेशाग्रसे ६ प्रक्षेप (१६४६ = ९६) हीन है। इसी प्रकार अन्य पाँच निषकोंके प्रदेशाग्र क्रमसे १२, २०, ३०, ४२ व ५६ प्रक्षेपहीन हैं। इनका जोड २+६+१२+२+३० + ४२+५६ = १६८ है । अथवा एक कम गुणहानिप्रमाणका संकलनासंकलन = १+ (१+२ = ३) + ( १+२+३ = ६ )+( १+२+३+४ - १० )+( १+२+३+४+५ - १५ )+ (१+२+ ३+४+५+६ = २१ )+( १+२+३+४+५+६+७ = २८ ) 3D ८४ होता है। इसका दूना ८४४२ % १६८ होता है। इस प्रकार १६८ बढे हुए प्रक्षेप हैं। पूर्वोक्त ५७६ प्रक्षेपोंम १६८ प्रक्षेप घटानेसे ४०८ प्रक्षेप (४०८x१६ = ६५२८) प्रथम गुणहानिके प्रदेशोंका प्रमाण होता है । ), क्योंकि, वह (एक कम) गुणहानिप्रमाण गच्छके दूने संकलनासंकलन प्रमाण है। इसमें कुछ कम की गणना न करके पहलेके द्रव्यमेंसे घटा देनेपर शेष इतना होता है- ०९१८८।२ । पुन इसे यवमध्यके प्रमाणसे करने पर इतना होता है- 1८1१६ । पुनः इस प्रथम गुणहानिके द्रव्यमें अर्धगुणहानिका द्रव्य मिलाने पर इतना होता है. छा। यवमध्यसे ऊपर अर्धगुणहानिका द्रव्य इतना होता है-०८ | १३ । इसे अधस्तन द्रव्य में मिला देनेपर इतना होता है मप्रतिपाठोयऽम् । ता० प्रती ||४७६) अ० प्रती | ०९ । ८८३ । का०प्रतो || ८६। इति पाठः। * म० प्रतिपाठोयऽम् | प्रतिषु ‘पठमगणहाणिअद्ध- ' इति पाठः | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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