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________________ १७४ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड अचित्तअद्धवक्खंधदव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा । को गुणगारो? सगरासिस्स असंखेज्जविभागो। तस्स को पडिभागो ? पतेयप्तरीरवग्गणादव्वपडिभागो । एसो गुणगारो सव्वजीवेहि अणंतगुणो। कुदो एवं णव्वदे? सांतरणिरंतरवग्गणणाणागुणहाणिसलागाणं पि सधजीवेहि अगंतगुणत्तुवलंभादो । एवं पि कुदो णव्ववे ? सव्वजीवेहि अणंतगुणधवक्खंधव्यवग्गणद्धाणादो सव्वजोवेहि अणंतगुणद्धवसांतरणिरंतरवग्गणट्ठाणे अद्धाण* मेत्तणाणाणंतगुणहाणिसलागाणमुवलंभादो गुणहाणिसलागासु सव्वजोवेहितो अणंतगुणासु संतीसु एदासि अण्णोण्णभस्थरासीए णिच्छएण गुणहाणिसलागाहितो अणंतगुणत्तसिद्धीए । किं च जदि वि सांतरणिरंतरवग्गणासु चरिमवग्गणा सरिसणिएहि पत्तक्कस्समावा उवलभदि तो वि पत्तेयसरीरवग्गणाहितो सांतरणिरंतरवग्गणाओ अणंतगुणाओ, चरिमाए वि वग्ग. णाए उक्कस्सेण अणंताणताणं सरिसधणियाणं वग्गणाणं संभवादो। धुवक्खंधदव्ववग्गणाए जाणासेडिसव्वदम्वा अणंतगणा । को गुणगारो? सव्वजीवेहि अणंतगुणो दिवढगुणहाणिगणिदसगणाणागुणहाणिसलागाणमण्णोण्णन्मत्थरासी तं जहा- सांतरणिरंतरसववग्गणाओ सगपढमवग्गणपमाणेण कीरमाणीयो सादिरेय अचित्त अवस्कन्धद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अपनी राशि के असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है । उसका प्रतिभाग क्या है ? प्रत्येकशरीरवर्गणा द्रव्य प्रतिभाग है। यह गुणकार सब जीवोंसे अनन्तगुणा है । शंका-यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान-क्योंकि, सान्तर-निरन्तवर्गणाओंकी नानागुणहानिशलाकायें भी सब जीवोंसे अनन्तगुणी पाई जाती हैं। इससे जाना जाता है कि यह गुणकार सब जीवोंसे अनन्तगुणा है । शंका-यह भी किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान-क्योंकि, सब जीवोंसे अनन्त गुणी ध्रुवस्कन्धद्रव्यवर्गणाओंके अध्वानसे सब जीवोंसे अनन्तगुणी ध्रुवसान्तर-निरन्तरवर्गणाओंके स्थान में अध्वानप्रमाण नाना अनन्त गुणहानिशलाकायें पाई जाती हैं । तथा गुणहानिशलाकाओंके सब जीवोंसे अनन्तगुणी होने पर इनकी अन्योन्याभ्यस्त राशि नियमसे गुणहानिशलाकाओंसे अनन्तगुणी सिद्ध होती है। दूसरे यद्यपि सान्तर-निरन्तरवर्गणाओंमें अन्तिम वर्गणा सदृश धनरूपसे उत्कृष्ट भावको प्राप्त होकर उपलब्ध होती है तो भी प्रत्येकशरीरवर्गणाओंसे सान्तर-निन्तरवर्गणायें अनन्तगुणी हैं, क्योंकि, अन्तिम वर्गणामें भी उत्कृष्टरूपसे सदृश धनवाली अनन्तानन्त वर्गणायें सम्भव हैं। ध्रुवस्कन्धद्रव्यवर्गणामें नानाथणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? सब जीवोंसे अनन्तगुणी डेढ़ गुणहानिगुणित अपनी नाना गुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । यथा-सान्तर-निरन्तर सब वर्गणायें अपनी प्रथम वर्गणाके प्रमाणसे करने * अ० प्रती ' सब्वजीवेहि सांतरणिरंतरवग्गणट्ठागे अणंतगणअद्धाण-' इति पाठ 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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