________________
प्रकाशकीय निवेदन
षट्खण्डागम धवला सिद्धांत ग्रंथके पंचम खण्डके प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय भाग में अर्थात् तेरहवें पुस्तक में वर्गणाओंका सविस्तर वर्णना किया गया है।
-
इस ग्रंथका पूर्व प्रकाशन श्रीमंत सेठ सिताबराय लक्ष्मीचन्द्र जैन साहित्योद्धारक फंड विदिशा द्वारा हुआ है । उसका मूल ताडपत्र ग्रंथसे मिलानकर संशोधित पाठसहित द्वितीयावृत्तिका प्रकाशन अधिकार प्राप्त जीवराज जैन ग्रंथमाला सोलापुर द्वारा प्रकाशित करने में हम अपना सौभाग्य समझते हैं ।
स्व. ब्र. रतनचंदजी मुख्त्यार ( सहारनपुर ) तथा आदरणीय पू. आर्यिका विशुद्धमती माताजी इनके संपर्क में धवला ग्रंथोंका सूक्ष्म, गहन स्वाध्याय जिनका होता रहा ऐसे श्रीमान् पं. जवाहरलालजी सिद्धान्त शास्त्री ( भिंडर ) इनके तथा उनकी सुविद्य धर्मपत्नी श्रीमती कैलास जैन ( भिंडर ) द्वारा भेजे हुए संशोधनका भी इस संशोधनकार्य में हमें सहयोग मिला जिसके लिए हम सभी सज्जनोंके अतीव आभारी हैं । प्रस्तुत पुस्तक में पूर्वमुद्रित पाठ और संशोधित पाठ अलगसे संलग्न किया गया है ।
इस ग्रंथ का प्रूफ संशोधन कार्य जीवराज जैन ग्रंथमालाके संपादक श्री. नरेंद्रकुमार भिसीकर शास्त्री तथा धन्यकुमार जैनी द्वारा संपन्न हुआ है। तथा मुद्रणकार्य कल्याण प्रेस, तथा मुद्रण सम्राट, सोलापुर इनके द्वारा संपन्न हुआ है। हम इनके भी आभार प्रदर्शित करते है |
Jain Education International
धर्मानुरागी श्रीमान् डॉ. अप्पासाहेब कलगोंडा नाडगौडा पाटील तथा उनकी धर्मपत्नी डॉ. सौ. त्रिशलादेवी नाडगौडा पाटील इन महानुभावोंने षट्खण्डागम धवला भा. १० से १६ तकके पुनर्मुद्रण के लिए आर्थिक सहयोग देकर जिनवाणीकी सेवाका महान आदर्श उपस्थित किया । इसलिए उनका हार्दिक अभिनंदन करते हुए हम उनके सहयोग के लिए अनेकशः धन्यवाद प्रकट करते हैं ।
For Private & Personal Use Only
- रतनचंद सखाराम शहा मंत्री
www.jainelibrary.org