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________________ ३० ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं (५, ३, २७. जो सो बंधफासो णाम ।। २७ ।। तस्स अत्थो वुच्चदे सो पंचविहो-ओरालियसरीरबंधफासो एवं वेउविय-आहारतेया-कम्मइयसरीरबंधफासो । सो सव्वो बंधफासो णाम ॥२८॥ क्र.सं. संयोग पुनरुक्त या अपुनरुक्त क्र.सं. संयोग पुनरुक्त या अपुनरुक्त २५ ४५ ४६ पु. (३०से) " (३८से) अ. पु. (४ से) " (१२से) " (२०से) ४८ २९ ३० ३१ पु. (७) " (१५) " (२३) मोहनीय + मोहनीय मोहनीय + ज्ञानावरण मोहनीय + दर्शनावरण मोहनीय + वेदनीय मोहनीय + आयु मोहनीय + नाम मोहनीय + गोत्र मोहनीय + अन्तराय आयु + आयु आयु + ज्ञानावरण आयु + दर्शनावरण आयु + वेदनीय आयु + मोहनीय आयु + नाम आयु + गोत्र आय + अन्तराय नाम + नाम नाम + ज्ञानावरण नाम + दर्शनावरण नाम + वेदनीय पु. (५ से) " (१३से) " (२१से) " (२९से) नाम + मोहनीय नाम + आयु नाम + गोत्र नाम + अन्तराय गोत्र + गोत्र गोत्र + ज्ञानावरण गोत्र + दर्शनावरण गोत्र + वेदनीय गोत्र + मोहनीय गोत्र + आयु गोत्र + नाम गोत्र + अन्तराय अन्तराय + अन्तराय अन्तराय + ज्ञानावरण अन्तराय + दर्शनावरण अन्तराय + वेदनीय अन्तराय + मोहनीय अन्तराय + आयु अन्तराय + नाम अन्तराय + गोत्र | पु. (८) " (२४) " (३२) " (४०) " (४८) पु. (६ से) " (१४से) " (२२से) अब बन्धस्पर्शका अधिकार है ॥ २७॥ उसका अर्थ कहते हैं वह पांच प्रकारका है- औदारिकशरीरबन्धस्पर्श । इसी प्रकार वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कामंण शरीरबन्धस्पर्श । वह सब बन्धस्पर्श है ॥२८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org .
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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