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________________ ३७० ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं ( ५, ५, ११०. संहननम् । ताभ्यां विना नाराचशरीरसंहननम् । नाराचेन अर्द्धभिन्नं अर्द्धनाराचशरीरसंहननम्। अवज्रकीलैः कीलितं कीलितशरीरसंहननम् । स्नायभिर्बद्धास्थि असंप्राप्तसरिसृपादिशरीरसंहननम् । एतेषां कारणानि यानि कर्माण तेषामेतान्येव नामानि । स्नायवन्त्र सिरादीनां निर्वत्तकानि कर्माणि किन्नोक्तानि? न, तेषामंगोपांगनाम्न्यन्तर्भावात् । __ जं तं वण्णणामकम्मं तं पंचविहं- किण्णवणणामं णीलवण्णणामं रुहिरवण्णणामं हलिद्दवण्णणामं सुक्किलवण्णणामं चेदि ११० । जं तं गंधणामं तं दुविहं-- सुरहिगंधणामं दुरहिगंधणामं चेदि ॥१११॥ जं तं रसमाणं तं पंचविहं- तित्तणामं कड्डवणामं कसायणाम अंबिलणामं महुरणामं चेदि ॥ ११२ ॥ जं तं फासणामं तमट्ठविहं-कक्खडणामं मउअणामं गरुवणाम लहुअणामणिद्धणाम ल्हुक्खणामं सीदणाम उसुणणामं चेदि।११३। एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि । वह नाराचशरीरसंहनन है । नाराचसे आधा भिदा हुआ संहनन अर्धनाराचशरीरसंहनन हैं। अवज्रमय कीलोंसे कीलित संहनन कीलितशरीरसंहनन है । जिसमें स्नायुओंसे हड्डियां बंधी होती हैं वह असंप्राप्तसरीसृपादिशरीरसंहनन है । इनके कारण जो कर्म हैं उनके भी ये नाम हैं। शंका - स्नायु, आंत और सिरा आदिके बनानेवाले कर्म क्यों नहीं कहे ? समाधान - नहीं, क्योंकि, उनका आंगोपांग नामकर्ममें अन्तर्भाव हो जाता है। जो वर्ण नामकर्म है वह पांच प्रकारका है- कृष्णवर्ण, नीलवर्ण, रुधिरवर्ण हरिद्रावर्ण और शुक्लवर्ण नामकर्म । ११० ।। जो गन्ध नामकर्म है वह दो प्रकारका है-सुरभिगन्ध और दुरभिगन्ध नामकर्म ॥ जो रस नामकर्म है वह पांच प्रकारका है- तिक्त, कटुक, कषाय, आम्ल और मधुर नामकर्म । ११२ । जो स्पर्श नामकर्म है वह आठ प्रकारका है- कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, स्निग्ध, रुक्ष, शीत और उष्ण नामकर्म । ११३ । यह सूत्र सुगम है। प्रतिषु '-बध्नास्थि-' इति पाठः 1 * षट्वं. जी. चू. १, ३७. 18 षट्खं जी. चू. १, ३८. षट्खं. जी. च. १, ३९. अप्रतौ ' उण्हणामं ' इति पाठः। षट्वं. यी. चू. १,४०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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