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१७८ अ)
छक्खंडागमे वग्गणा-खंड (५, ४, ३१. किरियाकम्मदवव्वदाओ चत्तारि वि तुल्लाओ थोवाओ। आधाकम्मदव्वटदा अणंतगुणा ।) कम्मइयकायजोगीणमोरालियामरसभंगो। णवरि इरियावथ-तवोकम्मदव्वटुदाए उरि किरियाकम्मदव्वटुदा असंखेज्जगुणा । एवं अणाहारोणं पि वत्तव्वं । णवरि पओअकम्मदव्वटदाए उरि समोदाणकम्मदवट्टदा विसेसाहिया अजोगिरासिमेत्तेण।
समान भंग है । इतनी विशेषता है कि इनके ईर्यापथकर्म और तपःकर्म की द्रव्यार्थतासे क्रियाकर्मकी द्रव्यार्थता असंख्यातगुणी है। इसी प्रकार अनाहारक जीवोंके भी कहना चाहिये। इतनी विशेषता है कि इनके प्रयोगकर्मकी द्रव्यार्थतासे समवदानकर्मकी द्रव्यार्थता अयोगी जीवोंकी जितनी संख्या है उतनी अधिक है।
विशेषार्थ-कार्मणकाययोग चौदहवें गुणस्थानमें नहीं होता, किन्तु अनाहारक अवस्था होती है । इसी से अनाहारकोंके प्रयोगकर्मवालों की संख्यासे समकदानकर्मवालोकी सख्या विशेष
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