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________________ स्व० पुण्यश्लोका माता मूर्तिदेवी की पवित्र स्मृति में स्व० साहू शान्तिप्रसाद जैन द्वारा संस्थापित एवं उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय रमा जैन द्वारा संपोषित भारतीय ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला इस ग्रन्थमाला के अन्तर्गत प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी, कन्नड़, तमिल आदि प्राचीन भाषाओं में उपलब्ध आगमिक, दार्शनिक, पौराणिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक आदि विविध विषयक जैन साहित्यका अनुसन्धानपूर्ण सम्पादन तथा उसका मूल और यथासम्भव अनुवाद आदिके साथ प्रकाशन हो रहा है। जैन-भण्डारों की सूचियां, शिलालेख संग्रह, कला एवं स्थापत्य, विशिष्ट विद्वानों के अध्ययन - ग्रन्थ और लोकहितकारी जैन साहित्य ग्रन्थ भी इसी ग्रन्थमाला में प्रकाशित हो रहे हैं । Jain Education International ग्रन्थमाला सम्पादक सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री डॉ० ज्योनिप्रसाद जैन प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ प्रधान कार्यालय : बी / ४५-४७, कनॉट प्लेस, नयी दिल्ली- ११०००१ मुद्रक : जैयद प्रेस, वल्ली मारान, दिल्ली- ११०००६ स्थापना : फाल्गुन कृष्ण ६, वीर नि० २४७०; विक्रम सं० २०००, १८ फरवरी, १६४४ सर्वाधिकार सुरक्षित For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001811
Book TitleTattvarthvarttikam Part 1
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages454
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size11 MB
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