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विश्व मैत्री की मंगल भावना
मैत्री भाव मैत्री भाव का पवित्र झरना, मेरे दिल में बहा करे । शुभ मंगल हों सकल विश्व का, ऐसी भावना नित्य रहे ।
प्रमोद भाव गुणवानों के गुण दर्शन से, मनवा मेरा नृत्य करे । गुणीजनों के गुणपालन से, जीवन मेरा धन्य बने ।
करुणा भाव दीन क्रूर और दया विहीन को, देख के दिल यह भर आए। करूणा भीगी आँखों में से, सेवा भाव उभर आए ||
माध्यस्थ भाव
भूले भटके जीवन पथिक को, मार्ग दिखाने खडा रहूं । करे उपेक्षा प्रेम पंथ की, तो भी समता चित्त धरूं ।।
चित्रभानु की धर्म भावना, मैत्री घर घर सुख लाए । बैर विरोध के भाव त्यागकर, गीत प्रेम के सब गाए ।
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