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________________ . वर्तमान में आपकी मुख्य प्रवृत्तियाँ : (१) आप न्यूयोर्क, जैन मेडिटेशन इन्टरनेशनल सेन्टर, मुंबई दिव्य ज्ञान संघ और शाकाहार परिषद के संस्थापक तथा प्रेरक होने के नाते आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं । (२) आपकी दिव्य वाणी तथा अद्भूत लेखन शक्ति के माध्यम से आज अमेरिका, कैनेडा, युरोप, आफ्रिका, सिंगापोर, हाँगकाँग, बैंगकॉक, तायवान, मलेसिया, स्विट्जरलॅन्ड, फ्रान्स, जापान में अहिंसा तथा अनेकान्त का प्रचार करके ध्यान सेन्टरों की स्थापना करवाई और असंख्य लोगों को सही मार्गदर्शन देकर व्यसन मुक्त एवं शाकाहारी बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं । (३) आपने स्वअनुभव, गहन अभ्यास तथा प्रबुद्ध जीवन के सारांश स्वरूप अनेक हिन्दी, गुजराती तथा अंग्रेजी पुस्तकों का सृजन किया है, जो हमारे अज्ञानमय जीवन में दीपक की भाँति प्रकाश फैला रहे हैं । श्री चित्रभानुजी एक ऐसा व्यक्तित्व है, जिन्होंने जैन धर्म को संप्रदायों की दिवारों से उपर उठाकर विश्व के मानव मात्र को मैत्री और शांति प्राप्त हो, इस भाव से United Nation में प्रतिष्ठित करवाया है | आप निर्दभ और निर्भयता से मनुष्यों में सुषुप्त मानव को जगा कर आत्मज्ञान से प्रबुद्ध कर रहे हैं । हजारों नहि लाखों लोगों को हिंसा के पापमय परिणाम का एहसास करवा कर शाकाहारी और करूणामय अहिंसाप्रेमी बना रहे हैं | Vegan (डेयरी प्रोडक्ट) दूध एवं घी के सेवन से अदत्तादान और अंतराय कर्म हम अज्ञानवश कैसे बांधते है उसका दर्शन करवाया । पशु संरक्षण हेतु हर पांजरापोल की अभिवृद्धि हो इस महान उदेश्य से हमेशा आपश्री अमेरिका में लाखों का फंड करवाकर भारतभर की अनेक पांजरा पोलो को सहायता करवाते रहते है। आपके विदेशी विद्यार्थीयों और साधकों की संख्या अगणित हैं । विदेशों के अलग अलग प्रदेशों में आपके द्वारा प्रस्थापित २१ धर्म प्रचार केन्द्र है | आपकी ही प्रेरणा से अमेरिका के विचारशील धर्म श्रद्धालु लोगों ने “फेडरेशन ओफ जैना" की स्थापना की है और उसके अन्तर्गत ६९ भव्य जिन मन्दिर तथा भवनों का निर्माण हुआ है। Y.J.A. (young Jain of America) के हजारों युवा वर्ग के आप प्रेरणा दाता है | 37140pFetida gralcot "Realize what you are”, Psychology of Enlightenment, Twelve facets of Reality”, Philosophy of soul and matter” जैसे अमूल्य पुस्तक रत्न विदेशी जनता में अत्यन्त लोकप्रिय हैं । लोकोद्धार और प्राणी मात्र के कल्याण हेतु अनेक कार्य हमारे श्रद्धेय, पूज्य गुरुदेवश्री के कर कमलों द्वारा सदा होते रहें, ऐसी आंतरिक अभिलाषा के साथ... प्रो. रमेश एच. भोजक M.A., M.Phi, D.H.E. Wilson College, Mumabi-7. ___13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001809
Book TitleDharma Jivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherDivine Knowledge Society
Publication Year2007
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size11 MB
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