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जीवन का उत्कर्ष
अनुसार ये तत्त्व अलग-अलग रूप एवं रंग धारण करते हैं। अनगिनत डिज़ाइन एवं अद्वितीय नमूने दिखाई देते हैं, लेकिन उसके संघटक नहीं बदलते। प्रत्येक शरीर में वही पृथ्वी है, वही जल है, वही अग्नि है, वही वायु है।
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ऐसा कैसे है कि ये चार तत्त्व इतने अलग-अलग आकार धारण करते हैं? इसका जवाब कंपनों के नियम में मिलता है। आपके जीवन की प्रत्येक क्रिया से कंपन पैदा होते हैं जो ब्रह्मांड में से इन भौतिक तत्त्वों को आकर्षित करते हैं जिनसे शरीर का आकार बनता है। इस तरह, आपके जीवन, विचार और आचार के अनुसार पृथ्वी, जल, अग्नि एवं वायु के मूलभूत तत्त्वों में से भिन्न-भिन्न रंगों एवं रूपों का निर्माण होता है। प्रत्येक व्यक्ति में जो अंतर है, विशिष्टता है, वह लोगों के इरादे, भावनाएँ एवं जीवन शैलियों की विविधता का प्रतिबिंब है।
जब आपको कंपनों के इस नियम की अभिज्ञता मिलेगी, तब आप भय और अपराध-बोध के एहसास से मुक्त होने लगेंगे। अपने जीवन में होने वाले कार्य-कारण को आप संतुलित दृष्टि से पहचानने लगेंगे। साथ ही, आप अपने स्वभाव के लिए दूसरों को दोषी ठहराना छोड़ देंगे । आप झूठे अभिमान एवं झूठी नम्रता की आदतों को मिटा देंगे, दोनों ही आत्मा के अज्ञान से उत्पन्न होते हैं । आप ऐसे सोपान पर पहुँच जाएँगे जो विकृतियों से मुक्त है।
इस तरह ध्यान करके आप अपनी जागरूकता में वृद्धि कर सकते हैं, 'मेरा आकार मेरी सोच का प्रतिबिंब है। उसके विरुद्ध झगड़ा करने की, शिकायत करने की या किसी और के आकार की इच्छा करने की न तो आवश्यकता है, न ही समय है । जो भी मेरे पास है, मुझे वह स्वीकार है । मैं अपने उत्कर्ष के लिए उसका उपयोग कर सकता हूँ। अगर इससे लोग आकर्षित नहीं होंगे, तो कोई बात नहीं। अब मैं अपने इस आकार से जनसेवा करूँगा। इस तरह मैं अपने सभी आकारों से मुक्त हो जाऊँगा । मैं जन्म-मरण के चक्र को अंत करने के पथ पर हूँ। मैं मुक्ति के पथ पर हूँ, अपने ध्येय तक पहुँचने वाला हूँ।'
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