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________________ हमारी प्रकृति की वृत्ति १४९ मनोवैज्ञानिक दृष्टि में इस विरूपता को प्रक्षेपण कहा जाता है। ये सब इसलिए होता है क्योंकि हम अपने आप पर नज़र नहीं रख रहे हैं। नफरत, कटुता, दुःख और नकारात्मकता में गिरना आसान है, पर उनसे ऊपर उठ आना अत्यंत कठिन है। नशीले पदार्थों का व्यसन इसी तरह की नकारात्मकता से आता है। कुछ लोग कह सकते हैं कि इन पदार्थों के सेवन से आनंद की, उत्तेजना की अनुभूति होती है। दरअसल यह आत्म - छलावा मात्र है। जो नशा करता है, वह स्वयं के साथ नहीं रहना चाहता। वह स्वयं को भूलना चाहता है, अपनी सच्चाई से छिपना चाहता है। मगर दुर्भाग्य से नशा करने से मस्तिष्क की कोशिकाएँ धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। सामान्यतः सक्रिय रहने वाली ये कोशिकाएँ नशे के कारण काम करना बंद कर देती हैं और वह व्यक्ति शनै- शनै मंदता में डूबने लगता है। जब ये बुझ जाती हैं, तब बुद्धि, अभिज्ञता और विचार - शक्ति सब मंद पड़ जाते हैं। चेतना के फलने-फूलने की जो प्रक्रिया है, वही नष्ट हो जाती है। इस भावना में अपनी क्रियाओं पर नज़र रखते हुए अपनी वास्तविकता पर निरंतर ध्यान करना है। अपनी आंतरिक एकता पर ध्यानस्थ रहते हुए कहें, 'मैं मैं हूँ। मैं दूसरों के अभिमत की चिंता क्यों करूँ? यदि मैं स्वयं के साथ नहीं हूँ, तो और कौन रहेगा? मैं मैं रहूँगा । अस्तु।' सभी समस्याएँ आत्मा को विस्मृत करने के कारण उत्पन्न होती हैं। उनका स्मरण आपकी रात-दिन की आदत बन जानी चाहिए, उसी तरह जैसे आप अपने नाम को याद रखते हैं। आपका नाम तो एक बिल्ला मात्र है, फिर भी यह बिल्ला कितना गहरा उतरा हुआ है। निद्रावस्था में भी आपको अपना नाम याद रहता है। जब आप निद्रामग्न हों, तब भी कोई आपका नाम ले, तो आप आँखें खोलकर कह उठेंगे, 'नमस्कार !' जो नाम आपके समर्थन के पूर्व ही आप पर थोप दिया गया था, यदि वह इतना गहरा पैठ जमा गया है, तो आपकी स्वयं की वास्तविकता उतनी ही गहरी क्यों न हो? जब एक वस्तु को कोई दूसरी वस्तु समझ लिया जाता है, जब झूठ को सच मान लिया जाता है, जब अवास्तविकता को वास्तविकता मान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001806
Book TitleJivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size11 MB
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