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________________ १४६ जीवन का उत्कर्ष पूरी होती है, दूसरी उठ आती है, उसी प्रकार जैसे महासागर में तरंगें। जैसे ही एक तरंग समाप्त होती है, दूसरी पैदा हो जाती है। आप कितनी तरंगों को गिन सकते हैं? आप कब तक अपने आपको तरंगों द्वारा इधर और उधर खींचे जाने को बर्दाश्त करेंगे? अपने जीवन की भी सोचिए। क्या आपको याद आता है कि आपने कभी कहा हो, 'यदि मैं इस उद्देश्य को पूरा कर लूँ, तो मैं खुश हो जाऊँगा?' वह पाँच साल पहले की बात होगी, और वह उद्देश्य पूरा भी हो गया होगा, लेकिन आप फिर भी खुश नहीं हैं। एक इच्छा शमित हो गई है, पर दूसरी उभर आई है। यही मन की प्रकृति है। वह इच्छाओं और वस्तुओं और सुख की माँग में फर्क ही नहीं कर पाता। जब तक आप किसी स्थिर स्थान को न पहुँचे, आप संतुष्ट कैसे हो सकते हैं? आपका धर्म ही वह स्थिर स्थान है। अपने आप के साथ रहने का अनुभव दुनियां की हर खुशी से बेहतर है। भीतरी शांति की अनुभूति से बढ़कर कोई अनुभूति नहीं है। उस केन्द्रीय, मूल वास्तविकता तक पहुँचने से आपको रोक रही हैं आपकी इच्छाएँ। इसीलिए संतुष्टि से जो शांति आ सकती है, उसके आनंद से आप अनजान हैं। इच्छाएँ निरंतर उस केन्द्रीय तत्त्व से आपको दूर ले जाती हैं। जब आप ध्यान करने के लिए बैठे हैं, तब भी इच्छारूपी तरंगें आपको परेशान कर देती हैं। आप अपने आपसे कह सकते हैं कि ध्यान करना उबाऊ है। आप कह सकते हैं, 'मैं दो घंटे तक बिना कुछ किए बैठा रहा, और बदले में थकान के सिवा मुझे कुछ नहीं मिला।' यह इसलिए क्योंकि आप वास्तव में ध्यान नहीं कर रहे थे। आप अपने मन से कुश्ती लड़ रहे थे। ध्यान के लिए कहाँ अवकाश था? जब आप चेतना के उस स्तर तक पहुँच जाएँ जब कोई भी चीज़ आपको विचलित नहीं करती, तब आप शांत हो जाते हैं। उस स्तर तक पहुँचने के लिए आपको बहुत सारी चीज़ों को छोड़ना पड़ेगा। उन्हें छोड़ने के लिए शायद आप तैयार न हों। आप उन्हें पकड़े रहते हैं, यह सोचकर कि किसी न किसी दिन ये काम आएँगे! इसीलिए आप साधना के दौरान भी शांति और समता की अनुभूति नहीं कर पाते। मैं कहता हूँ, यदि एक बार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001806
Book TitleJivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size11 MB
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