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________________ भूमिका भारत एवं विश्व के २० देशों में 'प्राणी मात्र के प्रति प्रेम की भावना का प्रचार करने वाले सुप्रसिद्ध अध्यात्म-पुरुष श्री चित्रभानु की अनुपम पुस्तक 'ट्वेल्व फेसेट्स ऑफ रियलिटी' का यह हिंदी अनुवाद है। आप पिछले ६५ वर्षों से जैन धर्म के अहिंसा, करुणा एवं अनेकांत का संदेश भारत एवं सारे विश्व में प्रभावी ढंग से करते आ रहे हैं। श्री चित्रभानु जैन अन्तर्राष्ट्रीय ध्यान केन्द्र, न्यूयॉर्क एवं डिवाइन ज्ञान सोसाइटी, मुंबई के संस्थापक हैं तथा आपने अंग्रेज़ी में अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की है। आपके व्याख्यान बहुत ही प्रभावी होते हैं। आपका संपूर्ण साहित्य गुजराती भाषा में 'चित्रभानु समग्र' शीर्षक से चार खंडों में शीघ्र प्रकाशित हो रहा है। हिंदी में यह आपका प्रथम अनुदित ग्रन्थ है। इस पुस्तक में श्री चित्रभानु के बारह व्याख्यानों का संग्रह है जो उन्होंने जैन अन्तर्राष्ट्रीय ध्यान केन्द्र, न्यूयॉर्क मे दिनांक २ मार्च से १८ मार्च १९७७ तक साधकों को संबोधित करते हुए प्रदान किए थे। इसका संकलन श्रीमती क्लेर रोसेनफील्ड ने किया था तथा यह पुस्तक सन् १९८० में प्रकाशित हुई थी। भावनाएँ सत्य की अनुभूति के बारह साधन हैं। इन्हें अनुप्रेक्षाएँ भी कहा जाता है। मूल रूप में ये जैन साधुओं को ध्यान के विषयों के रूप में दी जाती थीं, उन दीक्षार्थियों को जिन्होंने हाल ही में सांसारिक जीवन का त्याग किया था। इनका उद्देश्य जीवन के असली अर्थ को ग्रहण करके जीवन की वास्तविकता की गहराई में पहुंचना था। स्वाध्याय प्रेमी गृहस्थ भी इनका निरंतर पाठ करके इन्हें समझने का प्रयास करते थे। ये बारह भावनाएँ हैं - अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व, अशुचि, आश्रव, संवर, निर्जरा, बोधिदुर्लभ और धर्म। श्री चित्रभानु ने इस पुस्तक में इन भावनाओं का मौलिक विवेचन प्रस्तुत किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001806
Book TitleJivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size11 MB
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