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सम्बन्धी व्यवस्थाओं में डा० विजय कुमार, प्रकाशन अधिकारी, का सराहनीय सहयोग रहा है जिसके लिये वे बधाई के पात्र हैं।
सुन्दर अक्षरसज्जा के लिये 'एडविजन' तथा सत्वर मुद्रण हेतु वर्द्धमान मुद्रणालय के प्रति भी हम अपना आभार प्रकट करते हैं।
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक सामान्य जिज्ञासुओं, मोक्षमार्ग पर अग्रसर साधकों तथा शोधार्थियों के लिये अत्यन्त उपादेय सिद्ध होगी। अक्षय तृतीया
डा० सागरमल जैन ८ मई, २००८
सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ
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