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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ एक बार ध्यानपूर्वक (विश्वासपूर्वक) इलाज होने के बाद, सभी सुयोग्य केसो में मस्तिष्क की नली की सर्जरी करके एन्युरिजम को क्लीप किया जाता है। कभी-कभी उसके चारों तरफ स्नायु का आवरण बनाया जाता है, अथवा टेफलोन का कोटिंग किया जाता है। कभी-कभी गले में केरोटिड आर्टरी को बाँधकर भी ट्रीटमेन्ट किया जाता है । सर्जरी के जैसे ही दूसरी सारवार पद्धति में कोईल्स (Colls) का उपयोग किया जाता है। इसमें धातुकी स्प्रिंग जैसी चीज से गुब्बारे को भर दिया जाता है, जिससे गुब्बारे में खून जमा न हो । ये समग्र प्रक्रिया रक्तवाहिनीमें Clot (गठन) पेदा करती है। ये प्रक्रिया संपूर्णतः ओपरेशन रहित (Noninvasive) है । उसका खर्च कितनी कोईल (Coils) का उपयोग हुआ है, उस पर निर्भर है; तकरीबन ३ से ४ लाख हो सकता है । इन सभी के द्वारा Rebleeding पूर्णरूप से रोका जा सकता है और मृत्युदर कम किया जा सकता है। उपर बताई सर्जरी का खर्च करीबन रू. १ लाख से १.५ लाख आता है। सर्जिकल खतरा १ से ५ प्रतिशत ही होता है। सभी उच्च केन्द्रों के निष्णात न्यूरोसर्जन के पास ऐसी सर्जरी संभव है।
ए. वी. मालफोर्मेशन के लिए ब्लोक रिसेक्शन अथवा लाईगेशन तकनिक उपयोग में लाई जाती है, अथवा प्रोटोनबीम द्वारा उसे जलाया जाता है। आज कल गामा नाईफ का उपयोग अधिक प्रचलित है । जिस में कोबाल्ट के स्रोत से गामा नाइफ द्वारा केन्द्रित किए गए गामा किरणों से ध्यानपूर्वक इसे जला सकते हैं । जिसमें सर्जरी संभव न हो, वहाँ प्लेटिनम कोईलिंग व एम्बोलाइजेशन किया जाता है । मस्तिष्क के बाहरी भाग में आए हुए छोटे या मध्यम कद के ए.वी. मालफोर्मेशन के लिए ऑपरेशन ही श्रेष्ठ है । मस्तिष्क के अति महत्वपूर्ण स्थान में या मस्तिष्क के अंदरुनी भाग में होते ३ मि.मि. और उससे कम कद के ए.वी.एम. के लिए स्टिरिओटेक्टिक रेडियो सर्जरी (एस.आर.एस. - गामा नाईफ) श्रेष्ठ है । जब की एम्बोलाईजेशन से १५ से २० प्रतिशत मरीजों को रोग मुक्त किया जा सकता है। कभी कभी एम्बोलाईजेशन का उपयोग बडी सर्जरी के लिए राह देखते हुए मरीज में किया जा
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