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________________ 76 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (२) सबएरेकनोईड हेमरेज : यह हेमरेज उपरोक्त हेमरेज से एकदम अलग है । इसमें अधिकतर मरीजों को ब्लडप्रेशर नहीं होता । अधिकांश मरीज जवान होते है और उनमें से अधिकतर लोगों को रक्त की नलिकाओं में जन्मजात कमजोरी के कारण गुब्बारा (Balloon) बना होता है (सेक्युलर एन्युरिझम) अथवा रक्त की नलिकाओं में झुरमुट होता है (जिसे ए. वी. मालफोर्मेशन कहते हैं) । वो कुछ उम्र में अचानक परिश्रम से या स्वयं ही फट जाती है, उसमें से रक्त मस्तिष्क के दो आवरणों एरेक्नाईड और पाया के बीच सबएरेकनोईड स्पेस में फैल जाता है, उसे सबएरेकनोईड हेमरेज कहते है । महत्वपूर्ण बात यह है की एक अनुमान अनुसार प्रत्येक १०० व्यक्तियों में औसतन एक व्यक्ति को मस्तिष्क की नलिकाओं में ऐसे गुब्बारें हो सकते है और जन्म से ही कमजोरी होने के बावजूद वह कब बढ़ेगा, कब फटेगा, यह निश्चित नहीं होता है और जीवनभर वह न फटे ऐसा भी बहुत से केसो में होता है । अगर योग्य सारवार न मिले तो, एकबार फटने से १०० में से औसतन ४५ से ६० मरीज की एक महीने में ही मृत्यु हो जाती हैं । इतना भयानक होने के कारण इस बीमारी को समजना जितना जरूरी है उतना ही आवश्यक है इसका योग्य इलाज । विचित्र बात यह है की अधिकांश मरीज में किसी प्रकार के पूर्वचिह्न नही होते और अचानक हेमरेज हो जाता है । लेकिन सिर के एक ही तरफ (जैसे कि केवल दाएं तरफ कान के उपर आँख के पीछे) आधाशीशी जैसा दर्द, जो दूसरी तरफ न जाए और बीच-बीच में आता-जाता रहे तो निष्णात डॉक्टरों के एक समूह के मत अनुसार कम से कम एम. आर. एन्जिओग्राफी ऑफ ब्रेईन टेस्ट करवा लेना चाहिए । मस्तिष्क के इस टेस्ट द्वारा मस्तिष्क और मुख्यतः रक्त की नलिकाओं को किसी भी प्रकार की इन्वेजिव प्रक्रिया बिना औसतन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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