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6 - मस्तिष्क में रक्तस्राव (Brain Hemorrhage)
75 द्वारा मस्तिष्क में से रक्त निकाल लिया जाता है । रक्त में क्षति होने से रक्त पतला पडकर हेमरेज हो गया हो तो योग्य क्षतियां पूर्ण की जाती है । दवा के दुष्प्रभाव (जिनमें वारफेरीन अथवा एसीट्रोम दवाई हृदय के वाल्व के केस में चलती है) से अगर हेमरेज हुआ हो तो प्लाजमा
और रक्त के अन्य योग्य घटक देकर हेमरेज बंद करने का प्रयत्न किया जाता है । मेडिकल उपचार के कई दुष्प्रभाव से होने वाली यह मुख्य परिस्थिति है । ऐसे तथा ब्लडप्रेशर से होनेवाले हेमरेज के कुछ केस में नोवो सेवन दवाई (कोएग्युलेशन फेक्टर सेवन) असरकारक है।
एन्टीकोग्युएलन्ट दवाईयाँ : यह दवाई रक्त जम जाने में रोक लाती है, वह कुछ केस में अपने दुष्प्रभाव स्वरुप हेमरेज कर सकती है। इसलिए यह दवा चलती हो तो मरीज को प्रभाव-दुष्प्रभाव के विषय में बारीकी से जानकारी देना अत्यंत आवश्यक हैं । प्रति ७ से १५ दिन में Prothrombin time/INR नामक ब्लडटेस्ट करवा के रक्त कितना पतला रहता है उसकी नियमित जाँच करनी पडती है । अगर व्यवस्थित ध्यान रखा जाए तो हजारों मरीज किसी प्रकार की तकलिफ बिना अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं । इन्स्युलिन जैसी महत्वपूर्ण दवाई से हजारो जिंदगी सुधरती हुई देखी गई है, वही इन्स्युलिन की मात्रा अधिक होने से शक्कर कम हो जाने से अनेक अकस्मात मृत्यु भी हो जाती है, ऐसा इन बीमारियों की दवाओं में भी है ।
इसलिए ब्लडप्रेशर का नियमन, मस्तिष्क के सूजन की दवाई, योग्य नसिंग और जो जटिलता - कोम्प्लिकेशन हो उसकी दवाई करने से तथा जरूरत पड़े तो सर्जरी करवाने से ऐसे इन्ट्रासेरेब्रल हेमरेज के मरीज को अधिकतर बचाया जा सकता हैं । जिंदगी बचने के बाद अगर पक्षाघात रह गया हो तो व्यायाम तथा योग्य दवाई के उपचार द्वारा उस भाग को पुनः कार्यरत करने के लिए लंबे समय तक प्रयत्न चालू रखने चाहिए । यह बात सत्य है कि हेमरेज के केस में मृत्यु थ्रोम्बोसिस से अधिक है, लेकिन एक बार जान बच जाए तो पक्षाघात में सुधार भी थ्रोम्बोसिस के मरीज से अधिक शीघ्र होता है ।
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