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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ आहार : पक्षाघात से बचने के लिये आहार में चरबी की मात्रा कम (२०%) कर देना अति आवश्यक है । घी, मक्खन, तली हुई चीजें, आईसक्रीम, मीठाई कम कर देना चाहिये । भारतभर में और उसमें भी गुजरातीयों में आईसक्रीम खाने की मात्रा बहुत अधिक होती है । उसे त्यागकर आहार में सलाड, फल, सब्जियों की मात्रा बढ़ा देना हितकर है । नियमित व्यायाम : प्रतिदिन ३० मिनट चलने से निश्चित लाभ होता है । वजन घटाना हो तो ६०-८० मिनट से ज्यादा चलना चाहिए । योगासन और शरीर के अनुरूप अन्य व्यायाम भी किया जा सकता है । हप्ते में पांच दिन तो व्यायाम तबीबी सलाह लेकर करना ही चाहिये । चिंतायुक्त, संघर्षपूर्ण जीवनशैली में कमी कर के आनंदित जीवन जीना चाहिए । इर्ष्या, द्वेष तथा नकारात्मक सोच दूर करके 'सर्वमित्र' बनो । यह अच्छा परिणाम देगा और पक्षाघात तथा हृदयरोग दूर रहेगा। महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग कम करके, गर्भनिरोध के लिये दूसरी पद्धतियाँ अपनानी चाहिए । जिनको आगे हृदयरोग या लकवा एक बार हो चुका हो, ऐसे मरिज़ों को रक्त पतला रखनेवाली दवाई, जैसे कि एस्पिरिन, क्लोपीडोजेल, डाइपाइरीडेमोल, टीक्लोपीडिन आदि चिकित्सक की सूचना और ओब्झर्वेशन तहत लेनी चाहिये । उससे पक्षाघात या हृदयरोग होने की संभावना करीबन १३ से ४५ % जितनी कम हो जाती है । इसे सेकन्डरी प्रिवेन्शन कहते है । किन्तु आगे हृदयरोग या पक्षाघात न हुआ हो फिर भी ऊपर बतायें गये अन्य खतरनाक लक्षण हो तो उन्हें एस्पिरिन आदि दवाई देनी या नहीं देनी चाहिए उसके लिए एकमत नहीं हैं, किन्तु जिनको ज्यादा खतरा हो उन्हें यह दिया जा सकता है।
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