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________________ 268 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (३) एमेन्टिडिन (Amantidine) : मूलतः फ्लू की बीमारी में उपयोग होने वाली यह दवाई आकस्मिक ही पार्किन्सोनिझम में असरकारक है, ऐसा १९३४ में संशोधन हुआ । बाद में निश्चित ही वह बहुत असरकारक है, ऐसा बारबार साबित हुआ है। लेकिन उससे भी पैर में त्वचा के रोग (लिविडो रेटिक्यूलारिस), हृदय की बिमारी, पैर में सूजन, मानसिक दुविधा और डिप्रेशन इत्यादि समस्याएँ होती है, इसलिए यह दवाई बीच में कुछ समय के लिए बंद करनी पड़ती हैं। (४) ब्रोमोक्रिप्टिन (Bromocriptine) : यह एक उपयोगी दवाई है लेकिन इसकी अधिक मात्रा के सेवन से उल्टी -डकार या कम-बी.पी. इत्यादि होता है और लंबे अरसे के बाद दुविधा, भ्रम, पैर में सूजन और लालाश जैसी विचित्र समस्याएँ होती है । नई दवाई जैसे कि प्रेमिपेक्सोल (Pramipexole ), रोपिनिरोल (Ropinirole), टोलकेपोन (Tolcapone) इत्यादि के दुष्प्रभाव कम है और तुलना में अधिक असरकारक साबित हुई है । लेकिन महँगी है, और दीर्घ समय के दुष्प्रभाव के बारे में हमें इस दवाई को बारीक निरीक्षण में रखना पड़ेगा। (क) अन्य दवाईयां : (१) एस्पिरिन : छूट से उपयोग होने वाली मुख्य दवाई में एस्पिरिन ( Aspirin) है, जिसका विशेष उपयोग न्यूरोलोजिस्ट डॉक्टर, मरीज़ का पक्षाघात रोकने, रक्त पतला करने के लिए अधिकतर आजीवन उपयोग करने की सलाह देते हैं। योग्य तरीके से प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही यह सबसे अधिक असरकारक है, परंतु उसकी सख्त एलर्जी से मरीज का मृत्यु होने के केस भी क्वचित् देखे गयें है। उल्टी, डकार, एसिडिटी यह सब प्रचलित दुष्प्रभाव है और पेप्टिक अल्सर (होजरी में छाले) होकर रक्त की उल्टी भी हो सकती हैं। उपरांत शरीर में से रक्त बहना, अन्य अधिक दुष्प्रभाव इस दवाई के दीर्घकालीन उपयोग से होते हैं, इसलिए डॉक्टर को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए । पक्षाघात रोकने की ऐसी अन्य दवाई टिक्लोपिडिन (Ticlopidine) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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