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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ
इस तरह न्यूरोसर्जरी के तीन प्रकार है :
(१) रिसेक्टिव सर्जरी : इसमें संभव हो उतना खराब हिस्सा सर्जरी से निकाल दिया जाता है ।
(२) पेलिएटिव सर्जरी : इसमें उपर बताए अनुसार थोड़ा हिस्सा दूर किया जाता है ।
(३) फंकशनल न्यूरोसर्जरी : इसमें मस्तिष्क का जो भाग कार्यरत नहीं है, उसे किसी नए उपाय से कार्यरत किया जाता है । उसमें आवश्यकतानुसार नये कोषों का सिंचन (grafting) करने से लेकर मस्तिष्क में स्टिम्युलेटर रखा जाता है अथवा तो केमिकल्स या दवाई का उपयोग किया जा सकता है या छोटे-बडे छेद करके नयें रास्ते बना सकते हैं ।
यह बताते हुए आनंद होता है कि इनमें से सभी सर्जरी अब भारत में होती है । ९० % सर्जरी अहमदाबाद में हो सकती है। मुंबई और दिल्ली जैसें महानगरो में सभी प्रकार की सर्जरी उपलब्ध है और उत्तम शिक्षित तथा विश्व में जिनका नाम है ऐसे सुविख्यात न्यूरोसर्जनो की सेवा भारत देश को उपलब्ध है । यह अपने देश के लिए गौरव की बात है ।
ज्यादातर ऑपरेशन का खतरा अच्छे सेन्टरो में सिर्फ २ से ४ प्रतिशत होता है । परंतु यदि मरीज़ वृद्ध हो और साथ में डायाबिटीस, हृदयरोग या ब्लडप्रेशर हो अथवा इमर्जन्सी में ऑपरेशन करना पड़े हो तो खतरा १० से २० प्रतिशत तक रहता है । सर्जन और एनेस्थेटिस्ट को खतरा ज्यादा लगे तो शस्त्रक्रिया की तुलना में सामान्यतः मेडिकल ट्रीटमेन्ट के भरोसे ही मरीज़ को रखना चाहिए ऐसा अभिप्राय मिलता है । फिर भी मरीज के कुटुंबीजनो की इच्छा चान्स लेने की हो तो उसमें सहकार दिया जा सकता है । जैसे कि ब्रेईन एक बड़ा हो और मस्तिष्क में हेमरेज के साथ अधिक सूजन हो, मृत्यु की संभावना अतिविशेष हो तो कभीकभी खोपड़ी खोलकर, मस्तिष्क को बाहर
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