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________________ 259 23 - मस्तिष्क की शस्त्रक्रिया (Neurosurgery) उससे ऑपरेशन के खतरे से ज्यादातर बचा जा सकता है, लेकिन उसमें असफलता की मात्रा भी होती है। मेनिन्जिओमा और श्वानोमा आदि प्रकार की सादी गांठो में यह इलाज खूब प्रचलित है। उसका खर्च लगभग एक से दो लाख रुपये होता है। एन्डोस्कोपिक न्यूरोसर्जरी : यह भी एक प्रकार की मिनिमम ईन्वेझिव सर्जरी है । अर्थात् इसमें मस्तिष्क को संपूर्ण खोले बिना गहराई में आई हुई बीमारियाँ, जिसमें मुख्यतः गांठ, रक्त की नली के एन्यूरिझम (गुब्बारा) को रोका जाता है। इससे ऑपरेशन का खतरा अत्यंत कम हो जाता है। परंतु खूब छोटी जगह में दूरबीन से ऑपरेशन करना होता है, उस कारण उसमें पूरा अनुभव जरूरी है। थर्ड या फोर्थ वेन्ट्रिकल ट्युमर, एन्यूरिझम आदि में इसका व्याप ज्यादा है। इस सर्जरी की हृदय की 'बीटिंग हार्ट सर्जरी' के साथ तुलना की जाती है। उसी प्रकार ओपरेटींग माइक्रोस्कोप की मदद से सर्जरी करने से अत्यंत सावधानी और कुशलतापूर्वक नुकसानीवाला भाग ही दूर किया जाता है । अन्य भागों को नुकसान नहीं होता है । यह सर्जरी दीर्घ समय चलती है। धीरज और कुशलता की उसमें खास आवश्यकता है। उदाहरण-एपिलेप्सी के लिए टेम्पोरल लोब सर्जरी । आजकल बिना एनेस्थेसिआ, बेहोश किए बिना अवेइक (जागृत अवस्था में ) क्रेनिओटोमी द्वारा भी जाग्रत और होश में हो ऐसे मरीजों का ऑपरेशन करने में न्यूरोसर्जनोने निपुणता प्राप्त कर ली है। रोग जब खूब फैल गया हो, काबू में न हो तब होशियारी का उपयोग कर के सर्जन थोड़ा-बहुत भाग निकालकर संतोष लेते है। गांठ का पूरा हिस्सा काटना संभव न हो, ऐसा करने से ऑपरेशन टेबल पर या थोड़े ही वक्त में मृत्यु का डर हो या ऑपरेशन से शरीर के अंगो का ज्यादातर हिस्सा निर्जीव होने का डर हो तो व्यवहारिकता अपनाकर थोड़ा हिस्सा काटकर मरीज़ को मृत्यु से बचाकर थोड़ी राहत देने का हेतु होता है और इसे पेलिएटिव सर्जरी कहा जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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