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________________ 22 तनाव - टेन्शन (Stress) ( २ ) परिस्थिति से दूर हो जाएँ : उदाहरण किसी के साथ अनअपेक्षित व्यवहार या घटना से तनाव पैदा होता हो और संबंध सुधरे नहीं ऐसा हो तो संबंध को खत्म कर दें । नये संबंध ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहिए, नई जवाबदारी से दूर रहें | कुछ समय के लिए एकांतवास अपनायें। नए मनुष्यों से सम्पर्क जितना बढ़ेगा, उतना तनाव भी बढ़ेगा । इस कारण मेधावी मनुष्य यह सब परिस्थिति से और नये संयोगों से दूर रहता है या उसे सीमित प्रमाण में रखता है । (३) कुछ भी न करें : केवल योग्य समय का इंतजार करे। उदा. परीक्षा के परिणाम के लिए स्वस्थ चित्त से इन्तजार करें । मनोशारीरिक परिबल संदर्भ : Jain Education International - (१) नियमित ध्यान : ध्यान अनेक प्रकार के हो सकते हैं । भारत में अनेक ध्यानपद्धतियाँ विकसित है । यह ध्यानपद्धतियों में पातंजल, अनापन सति और स्मृति उपस्थान मुख्य है । उसी तरह विपश्यना और प्रेक्षाध्यान भी है, जो अंशतः ऊपर बताई गई पद्धतियों का संवर्धन है । अन्य अधिकतर पद्धतियाँ उपर्युक्त पद्धतियों के एकाद अंग पर से बनी है । मनन, मंत्रजाप, श्वासोच्छ्वास का ध्यान, पूर्णयोग ध्यान, स्पंदध्यान, नाभि ध्यान, स्वप्न ध्यान, नाद ध्यान, योग निद्रा, न्यास, त्राटक, सूर्यसंयम, अरूप ध्यान, कायोत्सर्ग ध्यान, जैन ध्यान, तथाता ध्यान, सहज ध्यान, साधुमौन, हू ध्यान, इत्यादि अनेक ध्यान पद्धतियाँ हैं । लेकिन सभी पद्धतियों का हेतु अंतिम ध्येय अंतिम साध्यबिंदु एक ही है, और वह है मन की शांति और उसका विकास | For Private & Personal Use Only 247 www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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