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________________ 208 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ उपचार : • मरीज़ और सगे-संबंधियों को योग्य समय पर बीमारी की गंभीरता बताकर, शेष जीवन के आयोजन हेतु सूचना देनी चाहिए । फिजियोथेरेपी, मसल ट्रेनिंग और चलने का व्यायाम इत्यादि से स्नायुओं को जितना संभव हो उतना सक्षम रखा जा सकता हैं । साथ ही साधनों की मदद से चलने और हाथ की क्रियाओं में लाभ हो, वह देखना चाहिए जैसे कि बैसाखी, केलिपर्स । यह बीमारी का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। अनेक प्रकार की दवाईयों के संशोधन के बाद हाल ही में एक दवा जिसे राइल्यूजोल कहते है वह अधिक प्रचलित हुई है। इसका लगभग ६-१२ महीने का उपचार का कोर्स होता है । इसका प्रतिमास खर्च रू. २० से ३० हजार आता है, परंतु इससे दर्द केवल ३ से ६ महीने के लिए मंद हो सकता है। इससे सिर्फ समग्रतः वेदना की अवधि बढ़ती है और सामान्य अनुभव बताता है कि इसकी कोई जादूई भूमिका नहीं है। फिर भी योग्य केस में वह दी जा सकती हैं । ओर दवाईयों में रासाजिलिन, माइनोसायक्लिन भी प्रयोगमें है । २००८ के नये संशोधन मुताबिक, लिथियम दवाई से ये रोग में काफी अच्छे परिणाम मिले है। आहार निगलने में, बोलने की प्रक्रिया इत्यादि पर प्रभाव हो तो उसकी भी ट्रेनिंग कुछ हद तक उपयोगी होती है। बाद में आहार निगलने हेतु राइल्स टयूब अथवा बहुत अच्छे ढंग से गेस्ट्रोस्टोमी फीडिंग कर सकते हैं, जिसमें त्वचा के नीचे टनल बनाकर, होजरी में ट्यूब उतारकर पोषण दिया जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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