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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (Early Intervention) कहते है । इस तालीम में बालक की परिस्थिति को ध्यान में रखकर नीचे बताए हुए लोगों का समन्वय और योगदान जरूरी है :
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४. ऑक्युपेशनल थेरापिस्ट
स्पेशियल टीचर
इसके उपरांत जरूरत पड़े तो ओर्थोपिडिक डॉक्टर, आँखों के डोक्टर और न्यूरोलोजिस्ट का अभिप्राय जरूरी है ।
दवाई में कड़क स्नायुओं को नर्म अर्थात् ढीला करने के लिए दवाई का उपयोग किया जा सकता है । योग्य मामले में बोटुलिनम टोक्सिन के इंजेकशन योग्य मात्रा में स्नायुओं में देने से कई बार अत्यंत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं और कुछ मरीज अपना काम स्वयं कर सकते है, और स्वयं घुम फिर सकते है ।
५.
६.
डेवलपमेन्टल फिजियोथेरापिस्ट
चाइल्ड साईकोलोजिस्ट
स्पीच थेरापिस्ट और ऑडियोलॉजिस्ट
७. योग्य केस में हाथ-पैर की छोटी-बड़ी सर्जरी ।
उपचार और तालीम का लक्ष्य :
प्रतिदिन के कार्य में स्वावलंबन
सामाजिक योग्यता
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शैक्षणिक योग्यता
आर्थिक स्वावलंबन
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