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________________ 165 13 - एईड्स (चेतातंत्र पर उसकी असर) (ख) प्रसूति के दौरान ध्यान रखें । (ग) बच्चे को स्तनपान न कराएँ । (घ) बच्चे को ४५ दिनों तक झीडोवुडीन (Zidovudine) सप्रमाण डोज में दें । इन उपायो से बच्चों में संक्रमण होने की संभावना ५ प्रतिशत से भी कम हो जाती हैं । • एईड्स के लक्षण : (१) प्रथम बीमारी ६ से ८ हफ्ते में होती है । इसमें मरीज को बुखार आना, हाथ-पैर के स्नायुओं में दर्द होना, लसिकाग्रंथि पर सूजन आना, त्वचा पर लाल चाठे पड़ना, गले में सूजन आना । यह लक्षण से मरीज़ एक हफ्ते में बिना दवाई ठीक हो जाता है । यह प्रथम बीमारी को एक्युट सिरो कन्वर्जन इलनेस कहते हैं । यह प्रथम बिमारी के बाद एच.आई.वी. की जाँच पोझिटिव होती है । शुरुआत के ६ से ८ महिने के दौरान एच.आई.वी. की लेबोरेटरी-जाँच में नकारात्मक परिणाम बताते हैं, लेकिन मरीज अपना संक्रमण यह समय दौरान अन्य व्यक्ति को फैला सकता है। यह समय को विन्डो पीरियड कहते हैं । यह प्रथम बीमारी के बाद मरीज़ बिना चिन्ह की एच.आई.वी. वाहक अवस्था में प्रवेश करता है । यह अवस्था ५ से १० वर्ष जितनी लंबी हो सकती है। यह अवस्था का समय मरीज की तंदुरस्ती, आदतें इत्यादि पर आधारित हैं। (३) यह अवस्था के बाद मरीज में रोग के अनेक चिहन दिखते हैं, जिसमें लसिकाग्रंथि का फूलना, बारबार या लगातार बुखार रहना, मुँह और गले में छाले पड़ना, आहार कम होना, लंबे समय तक खांसी आना, बारबार दस्त होना वजन कम होना इत्यादि है। यह लक्षण मरीज़ में बार बार या लगातार रहे तो उसके रक्त की एच.आई.वी. जाँच करवाने से निदान हो सकता हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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