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________________ 164 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (४) इंजेक्शन की सुई, सिरिंज तथा अन्य ऑपरेशन के उपकरणों से। (५) नस द्वारा नशीले द्रव्यों का सेवन करनेवाले व्यक्तिओं के जूथ में अगर एक भी व्यक्ति रोगिष्ट हो तो एक ही सुई का सामूहिक प्रयोग यह रोग को जन्म देता है। __ एईड्स के संक्रमण के विषय में आज भी कई गलतफहमीयां हैं, जैसे कि मरीज के साथ रहने से, उनसे हाथ मिलाने से, खेलने से और खाने से इस रोग का संक्रमण होता है । यह मान्यता गलत है। इतना ही नहीं यह रोग आहार, पानी, जंतु, मल या हवा से नहीं फैलता है । इस कारण एईड्स के मरीज के सामाजिक संपर्क से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अधिक प्यार और सामाजिक स्वीकृति मिले उस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए । • एईड्स प्रसरने से रोकने के लिये इतना ध्यान रखें : १. इंजेक्शन लेने के लिए बाजार में मिलनेवाली डिस्पोजेबल सिरिंज-सूई का उपयोग करें तथा सामान्य बीमारी में इंजेकशन लेने से बचें । अपरिचित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध न बनाएँ या तो कॉन्डोम का उपयोग करें । ३. अगर रक्त लेने की परिस्थिति हो तो एच.आई.वी. की लेबोरेटरी-जाँच करवा कर ही रक्त को उपयोग में ले । संभवत: स्नेहीओं का रक्त मिल सके तो अधिक अच्छा है। व्यावसायिक रक्तदाताओं से रक्त न लें । दाढ़ी करने स्वयं का रेज़र तथा ब्लेड अलग रखें, दूसरों का रेज़र-ब्लेड उपयोग न करें । एच.आई.वी. ग्रस्त महिला द्वारा उसके बच्चे को बीमारी होने की संभावना को निम्न समझाए गयें उपायों से बचा जा सकता है: (क) एच.आई.वी. की दवाइयाँ (एन्टिरीट्रोवायरल) दें। यह दवा डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दें । ४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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