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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ वायरस एन्सेफेलाइटिस-वायरस जैसे कि, हर्पिस सिम्पलेक्स मम्प्स का वाईरस, वेरिसेला, एप्स्टिनबार, एन्टेरोवाइरस, एईड्स के वाइरस वगैरह से होता है। वाइरस एन्सेफेलाइटिस में समय पर सही निदान होने पर जिंदगी बचाई जा सकती है । • फाल्सीपेरम मेलेरिया में एनोफिलीस मादा मच्छर मनुष्य
को काट कर दंश के साथ फाल्सीपेरम नामक परोपजीवी जंतु को रक्त में छोड़ देते है। सही समय पर निदान हुआ तो क्विनाइन के इस्तेमाल से जान बच सकती है। सलाड बिना धोए खाने से या मांस खाने से सिस्टिसरकस नाम के पेरेसाइट मस्तिष्क में जा कर अपना स्थान जमाते
• टिटेनस में क्लोस्ट्रिडियम टीटेनी नामक जंतु शरीर के घाव
से अंदर प्रवेश करते है और अत्यंत जहरीले पदार्थ छोडते है । इसमें ट्रीटमेन्ट कराने के बावजूद मृत्यु प्रमाण ६०% तक होता है।
चेतातंत्र में एन्टेरोवाइरस के संक्रमण से पोलियोमाइलाइटिस होता है, किन्तु टीकाकरण अभियान से यह बिमारी विश्वभर से अद्रश्य हो रही है। रेबीस-कुत्ता, बंदर, लौमडी और गरम रक्त वाले अन्य प्राणी तथा चमगादड आदि के काटने से होती है। यह बिमारी होने पर शायद ही कोइ मरीज़ बच सकता है, इसलिए प्राणी के काटने पर तुरंत टीका लगवाना चाहिए ।
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