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________________ 161 12 - मस्तिष्क की संक्रमित बीमारिया (CNS Infections) नहीं करना चाहिए और ज्यादा मानसिक थकान न आए उसका भी ध्यान रखना चाहिए । एईड्स को रोकने के उपायो के बारे में इसके बाद के प्रकरण में पढेंगे । उसमें बताएँ अनुसार सावधानी रखनी चाहिए । बाहर के अस्वच्छ और खराब गुणवत्तावाले आहार और प्रवाही से दूर रहना चाहिए । अंत मे, अंग्रेजी कहावत "Prevention is better than cure" (रोग को रोक लेना रोग के उपचार से ज्यादा अच्छा है), याद रखनी चाहिए । (सखियाँ • मस्तिष्क शरीर के अन्य अंगो की तुलना में कई बार अति शिघ्रता से संक्रमित बिमारी का भोग हो सकता है । विशेषत: मस्तिष्क का टी.बी., पायोजनिक मेनिन्जाइटिस, मवाद की गांठ, एन्सेफेलाइटीस, जहरी मेलेरिया, सिस्टिसरकोसिस, वगैरह रोग संक्रमण से होते है । • मस्तिष्क के आवरणों में टी.बी. का संक्रमण हो तब उसे टी.बी. मेनिन्जाइटिस कहा जाता है । मस्तिष्क के कोर्टेक्स में संक्रमण हो तो उसे एन्सेफेलाइटिस कहा जाता है । • स्ट्रेप्टोमाइसीन, आइसोनायासाइड, रीफामपीसीन, पाइरेझीनामाइड, इथाम्ब्युटोल, लीवोफ्लोक्सासीन, वगैरह दवाईयां टी.बी. में अक्सीर होती है। • पायोजनिक मेनिन्जाइटीसमें संक्रमित जंतु मस्तिष्क में मवाद बना कर जल्दी से फैलते है, इसलीए यह जोखिम युक्त रोग • क्रिप्टोकोकस, कोकिडोसिस, केन्डीडा, एस्परजिलस वगैरह फफूंद से मस्तिष्क में होनेवाली बिमारी को फंगल मेनिन्जाइटिस कहते है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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