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12 - मस्तिष्क की संक्रमित बीमारिया (CNS Infections)
157 सिस्टिसरकस नामक पेरेसाइट है, जो मांस को खाने से हो सकता है, या सलाड को बिना धोए खाने से हो सकता है । इसमें मिर्गी (फिट) रोकने की दवाई उपरांत रोग नाबूद करने के लिए न्यूरोलोजिस्ट आल्बेन्डेजोल या प्रेजिक्वोन्टाल नामक दवा जरूरी मात्रा में देते हैं । मांस नहि खाना चाहिए और सलाड घोकर और हो सके तो कच्चा नहि लेकिन उसे थोड़ी धीमी आँच पर गरम करके खाना चाहिए, जिससे यह अतिप्रचलित बीमारी फैलने से रूकती हैं। (७) टीटेनस (धनुर्वा) :
यह रोग क्लोस्ट्रीडियम टीटेनी नामक ग्रामपोजिटिव जंतु से पैदा होनेवाले जहरीले द्रव्य से होता है । यह जंतु शरीर के घाव में से अंदर प्रवेश करते है।
यह जहरीला द्रव्य (एक्सोटोक्सिन) स्नायु और नसो की उत्तेजना पैदा करता है और उससे टीटेनस पैदा होता है । उसमें स्नायु जकड़ जाते है, जबड़े ठीकसे खुलते नही (lock Jaw) है । मुँह, गरदन और पीठ के स्नायु जकड़ जाते है ।
प्रारंभ में सामान्य तकलीफ से लेकर अन्ततः समय जाते दिनब-दिन ऐसी परिस्थिति का निर्माण होता है कि स्नायु सतत उत्तेजित रहते हैं । झटके (spasm) आते है और अंततः श्वास तथा गले के स्नायुओं पर असर होता है । कभीकभी सिर्फ घाव तक ही टिटेनस सीमित रहता है। उसमें मरीज की स्थिति में सुधार होने की ज्यादा संभावना रहती है। परंतु शरीर में सभी जगह फैले हुए टीटेनस में मृत्यु का प्रमाण ट्रीटमेन्ट कराने के बाद भी लगभग ६० प्रतिशत तक पहुँचता है।
उपचार :
एन्टी टीटेनीक सीहल (३००० से १०,००० युनिट) से ट्रीटमेन्ट की शुरुआत की जाती है । जख्म को ठीक से साफ कर आसपास में सर्जिकल ड्रेसिंग किया जाता है लेकिन हो सके तो ड्रेसिंग खुल्ला रखना
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