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________________ 12 - मस्तिष्क की संक्रमित बीमारिया (CNS Infections) 155 विशेषतः फाल्सिपेरम नामक मलेरिया असामान्य प्रकार के कई चिन्हों के साथ हो सकता है । बुखार की लय अनिर्णित होती है, फाल्सिपेरम मलेरिया को जहरीला मलेरिया भी कहते है । इस प्रकार मलेरिया के जीवाणु प्रत्येक अवस्था के रक्तकणों में संक्रमण पैदा करते है (वाइवेक्स सिर्फ नयें (युवान) रक्तकणों को ही संक्रमित करते है)। १-२ प्रतिशत रक्तकणों पर असर होता है । इस प्रकार इस मलेरिया का संक्रमण रखने वाले रक्तकणों की संख्या बढ़ जाती है और इसके साथ . साथ एनिमिया भी अधिक मात्रा में होता है । संक्रमित रक्तकण रक्त की छोटी नलिकाओं (capillaries) में जमा होते है और नलिका बंद हो जाती है । परिणामतः मरीज़ बेहोश हो जाता है (सेरेब्रल मलेरिया) या किडनी खराब हो जाती है, अधिक दस्त होते है । उपरांत पीलिया होना, श्वासोच्छवास में तकलीफ और ब्लडप्रेशर कम हो जाना जैसी जानलेवा बीमारियाँ भी हो सकती है। . सामान्यतः वाइवेक्स मलेरिया में क्लोरोक्वीन की गोलियों का उपयोग होता है । फाल्सिपेरम मलेरिया में उपचार की अक्सीर दवा क्विनाइन है । वह १० मिलीग्राम/किलो प्रति ८ घंटे पर १० दिन तक दी जाती है । यह दवाई का दुष्प्रभाव मुख्यतः हृदय पर होता है । यह दवाई हमेशां डॉक्टर की सलाह अनुसार और उनकी देखरेख में ही लेनी चाहिए । केस गंभीर हो तो प्राथमिक अवस्था में क्विनाइन नस में ग्लूकोज के साथ दिया जाता है । मरीज मुँह से गोली ले सकता हो तब गोलियों का प्रयोग किया जाता है । फाल्सिपेरम मलेरिया में इस दवाई का असर न हो ऐसा भी पाया गया है। ऐसे वक्त पर आर्टिस्यूनेट, आर्टेथर, मेफ्लोक्वीन, जैसी दवाई का प्रयोग करना पड़ता है । इसके उपरांत पायरीमेथेमाइन, टेट्रासाइक्लिन और डोक्सिसायक्लिन दवाई भी कम गंभीर केसो में उपयोग की जा सकती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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