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12 . मस्तिष्क की संक्रमित बीमारिया (CNS Infections)
उपरांत आवश्यकता अनुसार CSF Lactate, CSF CRP, Latex Particle Agglutination, सिरोलोजिकल टेस्ट फोर सिफिलिस, वाईरस आइसोलेशन टेस्ट, इम्युनो एसे, फन्गस के टेस्ट और टी.बी. के PCR टेस्ट भी साथ ही किये जाते है । इस प्रकार यह पायोजनिक मेनिन्जाइटिस ही है या नहीं, वह निर्णित किया जाता है और कौन से जंतू है यह भी जानकर दवाई शुरु की जाती है । • दवाई : ____ जरूरत पड़ने पर यह दवाई जैसे कि सिफेलोस्पोरिन, पेनिसिलीन, वेन्कोमाइसिन, लाईनेझोलिड, मेरोपेनम, इमिपेनम, पिपेरासिलिनटाझोबेक्टम, जेन्टामाइसिन, क्लोराम्फेनिकोल और मेट्रोनिडेझोल का उपयोग किया जाता है । यह सब उत्तम और सफल परिणामलक्षी दवाई है और त्वरित रूप से योग्य मात्रा में, योग्य संयोजनवाली दवाई के उपयोग से ८० से ८५ प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं । सामान्यतः इन दवाई को १० से १४ दिन तक एक समान ढंग से उपयोग में लाया जाता है और कल्चर के रिपोर्ट अनुसार जरूर पड़ने पर बीच में बदलाव करने पडते है । अन्ततः दूसरी बार कमर के पानी (CSF) की जाँच करके सुनिश्चित किया जाता है कि जंतू निकल चूके है, और यह पानी अब मवाद सर्जक नहीं है। उसके बाद ही दवाई बंद करनी चाहिए । यदि मस्तिष्क में थोड़ा भी संक्रमण रह गया हो और दवाई बंध कर दी जाए तो संभव है कि बीमारी थोड़े ही समय में फिर से हो सकती हैं । उस समय शायद यह दवाई अपेक्षित असर न भी करे, जिसे ड्रग रेजिस्टन्स कहा जाता है।
__ मस्तिष्क में सूजन अधिक हो, एक तरफ मिर्गी या पक्षाघात का असर हो (फोकल सिम्पटम-स्थानिक नुकसानसूचक लक्षण) तो अवश्य जल्दी से सी. टी. स्कैन करवा लेना चाहिए । शायद मवाद की गांठ हो सकती है। इन केसो में अधिकतर कमर का पानी निकाले बिना भी योग्य दवाई शुरु की जाती है । आवश्यकता हो तो सक्षम न्यूरोसर्जन के पास जाकर गांठ में से मवाद खींच लिया जाता है या ऑपरेशन करवाया जा सकता है । इस प्रकार मरीज को नई जिंदगी मिलती है।
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