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________________ आवश्यक ज्ञान परोसने में विशेषज्ञ डॉ. सुधीरभाई को संतोषजनक सफलता मिली है। भोजन की विविध वानगी पौष्टिक होने के साथ साथ सुपाच्य और स्वादिष्ट भी होनी चाहिए। इस प्रकार लेखक को भी इस बात का ध्यान रखना पड़ता है । डॉ. सुधीरभाई की यह पुस्तक को पढ़ने के बाद लगता है कि इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है । प्रस्तुतीकरण की सरलता, जानकारी की प्रचुरता, लिखने की लोकभोग्य शैली और भाषा पर पकड़ के कारण पुस्तक अद्भुत और सुंदर बन पाया है । अनावश्यक पांडित्य का बोझ नहीं होने के कारण सामान्य मानवी को समझ न आनेवाली जटिल बीमारियों को सहजता से निरुपित किया गया है, जो एक बड़ी सिद्धि मानी जाएगी । ऐसे तो लगभग सभी प्रकरण कुशलता और सक्षमता से लिखे गये हैं फिर भी मूर्छा, लकवा, स्मृतिभ्रंश, वाई और तनाव के प्रकरण सर्वोपरि है। इसके साथ साथ यह भी खास बताना चाहूँगा कि यह कोई सामान्य पुस्तक नहीं हैं। परंतु लेखक का विविध बीमारी के बारे में अनुभव और उनके ज्ञान का परिपाक है । इसके उपरांत सामान्य जनता के लिए लेखक की असामान्य अनुकंपा, बोध, चिंता और शुभ भावना का प्रतिबिंब है । गुजरात में, शायद भारतभर में, इस विषय से संबंधित सामान्य प्रजा को स्पर्श करनेवाली यह प्रथम पुस्तक है । यह पुस्तक जितने प्रेम से लिखी गई है उतने ही प्रेम से मरीजों, उनके परिवारजनों, चिकित्सक तथा नसिंग व्यवसाय के सदस्यों तथा गुजरात व अन्य प्रांतों में तथा परदेश में बसने वाली जागृत, बुद्धिजीवी प्रजा को उसे सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए। डॉक्टर सिर्फ पैसा कमाना जानते है, इस प्रकार की टीका-टिप्पणी करनेवाले महानुभावों को उनका अभिप्राय बदलना पड़ेगा ऐसा मेरा मानना है। मरीज़ों के आरोग्य की विविध प्रकार से सलामती और श्रेय की चिंता नहीं होती तो इस पुस्तक को लिखने के लिए डॉ. सुधीरभाई पर किसीने दबाव नहीं डाला था फिर भी उन्होंने स्वयं ही इसकी जवाबदारी उठाकर शुभ भावना से प्रेरित होकर सुंदर, सफल और उपयोगी पुस्तक प्रसिद्ध किया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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