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11- निद्रा-विकार और उपचार (Sleep Disorders)
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यह विकार बचपन में पैदा होता है और उम्र बढ़ने से ठीक हो जाता है ।
वयस्क व्यक्ति में यह विकार असामान्य होता है और यह कोई मानसिक बिमारी या किसी दवा का दुष्प्रभाव हो सकता है ।
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कभी निद्रा में चलने के दौरान गिरने से चोट लग जाने अथवा मृत्यु हो जाने जैसी दुर्घटना भी हो सकती है, अथवा तो मरीज अनजाने ही गुनाहित प्रवृत्ति में फंस सकता है । कोई भावुकताशील दुर्घटना या भय अथवा हिंसक व्यवहार हो सकता है । कभी डर लगे और हृदय की धड़कन भी बढ़ जाती है । उपचार में ०.५ या १.०० मि.ग्रा. क्लोनाझेपाम दी जा सकती है
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निद्रा में डर लगना ( Sleep Terrors ) :
बचपन में होता है ।
निद्रा की तीसरी या चौथी अवस्था में ऐसा होता है । बच्चा अचानक चौंक कर जाग जाता है और उसके श्वासोच्छ्वास गहरे और तेज हो जाते है, साथ में बालक डर जाता है ।
ऐसे बच्चो में नींद में चलने के लक्षण भी हो सकते है । डायाझेपाम तथा अन्य कुछ दवाई इस बीमारी को नियंत्रित रखने में सहायक है ।
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निद्रा में जर्क / झटके लगना ( Sleep Starts ) : निद्रा आती है तब कई चलन बिंदु उत्तेजित हो जाते है, जिससे अधिकतर जर्ड्स / झटके आते हैं और व्यक्ति जाग जाता है ।
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