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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ दौरान, श्वास में अवरोध होता हो या नींद में मिर्गी आती हो तब ही लेबोरेटरी में अधिक एकाग्रतापूर्वक जाँच की जरूरत पड़ती है। इस प्रकरण में निद्रा
और संलग्न विकारों की संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयत्न किया है। निद्रा की संरचना और अवस्था (Organisation and Stages of Sleep :)
निद्रा मनुष्य की २४ घंटे की जैविक घड़ी (Circadian) की मूलभूत प्रक्रिया है । एक दिन में नवजात शिशु को १६ से २० घंटे, बालक को १० से १२ घंटे, दस वर्ष के बालक को ९ से १० घंटे, वयस्क व्यक्ति को ७ से ७.५ घंटे और प्रौढ व्यक्ति को ६.५ घंटे की नींद आवश्यक होती है । NREM Sleep और REM Sleep निद्रा की दो मुख्य अवस्था है । सामान्यतः व्यक्ति जब निद्राधीन होता है तब 3710 of rafa fa-(Rapid Eye Movement - REM) 3701 FETT में जाने से पहले, आंख के त्वरित नहीं ऐसी (Non-Rapid Eye Movement-NREM) निद्रा की कम से कम एक अवस्था से पसार होता है । NREM Sleep की ४ अवस्था होती है । REM तथा NREM अवस्था का चक्र समग्र निद्रा के समय में ४ से ६ बार घुम घुम कर उतने ही समय के लिए होता है । NREM अवस्था में आंखे पटपटाती है। आंख की पलकें आधी गिरी हुई होती है और उसकी पुतली छोटी हो जाती है । उसके विरुद्ध REM अवस्था में आंख के स्नायुओं के अलावा शरीर के स्नायु शिथिल हो जाते है । परंतु आंख की गोटी शीघ्रतापूर्वक गतिशील रहती है । श्वास अनियमित होता है । निद्रा का जैविक-रासायनिक पृथक्करण :
कुछ प्रयोगों में जाना गया है कि निद्रा लाने में सीरोटीनीन नामक तत्त्व काम करता है, जब कि केटेकोलामाईन नामक तत्त्व जाग्रत अवस्था के लिए निमित्त है। REM अवस्था की निद्रा के लिए कोलीनर्जीक न्यूरोट्रान्समिशन महत्त्वपूर्ण है, इसी अवस्था में स्मृति द्रढ होती है। इसके उपरांत प्रोस्टाग्लेन्डीन-डी-२, मेलाटोनीन आदि निद्राप्रद उद्दीपक माने जाते है । इन उद्दीपकों की असर सामान्यतः निद्रा की NREM
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