________________
124
मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ दोपहर के भोजन में भी कार्बोहाईड्रेट भरपूर लें, चर्बी और प्रोटीनयुक्त आहार प्रमाणसर लें । आहार लेने के बाद मस्तिष्क को रक्त कम पहुँचता है, जिससे नींद सामान्यतः आने लगती है, इस कारण जितना आवश्यक हो उतना ही आहार लें । समय मिलते हलका व्यायाम कर लें । शरीर आलसी हो तो स्थूल हो जाता है । इस प्रकार मस्तिष्क में भी ऐसा है । केलक्युलेटर और कॉम्प्युटर के युग में मस्तिष्क को बहुत अधिक महेनत नहीं करनी पड़ती है। इसलिए मेमरी गेम या शब्दव्यूह रचना जैसे मस्तिष्क कि कसौटी करें ऐसे (न्यूरोबिक्स) खेल खेलने की आदत डालो। याददास्त का उपयोग न हो तो वह कम होती जाती है, इसलिये याददास्त का नियमित उपयोग करें। उदा. खरीददारी करते समय लिस्ट बनाना छोड़ दो, टेलीफोन नंबर याद रखो और मित्रों-संबंधियों की जन्मतारीख याद रखने की आदत डालो । यह हकीकत है कि याददास्त बढ़ाने के लिए कोई अक्सीर इलाज नहीं है। मस्तिष्क और शरीर के व्यायाम करने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।
शाम के खाने में भी चर्बीयुक्त पदार्थ कम लेना चाहिए । शरीर को केल्शियम योग्य मात्रा में मिले ऐसा आयोजन करो । दूध-केला और ड्रायफूट्स मुख्यतः लें । मस्तिष्क को व्यायाम की जितनी जरूरत है उतना ही आराम भी जरूरी है। पूर्णतः नींद मिलना अत्यंत आवश्यक है। नींद के दौरान भी मस्तिष्क सक्रिय होता है। पूरे दिन के अनुभवों में से गुडनाइट - शुभरात्री के लिए कारण खोज के, पोजिटिव (सकारात्मक) विचार के साथ चैन से सो जाना चाहिए । ऐसा करना कठिन नहीं है।
इसके उपरांत योग और ध्यान से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है। यह एक वैज्ञानिक सत्य है।
मस्तिष्क की कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए इतना अवश्य करें __ तनाव को नियंत्रित करें, तनाव से चेताकोषों में हानिकारक
रसायन पैदा होते है । इस कारण मस्तिष्क के प्रति नाजूक व्यवहार रखें ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org