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9 - कंपवात (Parkinsonism)
यह सब सर्जरी हमारे सौभाग्य से हमारे देश में भी कुछ केन्द्रों में उपलब्ध है और उसका व्याप बढ़ता जा रहा है । विदेशों में बीमा की (मेडिकल इन्स्योरन्स की) प्रचलितता के कारण सर्जरी अत्याधिक शीघ्रता से फैलती जा रही है।। सेल ट्रान्सप्लान्टेशन सर्जरी : ऐसा कहा जा सकता है कि यह सर्जरी अभी प्रायोगिक अवस्था में है। इसमें एड्रिनल ग्रंथि के कोषों को मरीज के मस्तिष्क में प्रस्थापित किये जाते है । कुछ समय पहले अर्धविकसित गर्भ के कोषों का ट्रान्सप्लान्ट भी बहुत प्रचलित हुआ था । परंतु इसमें कई मेडिकोलीगल और नैतिक प्रश्न उठते हैं । इन सभी कारणों से यह ट्रान्सप्लान्ट सर्जरी अपेक्षानुसार प्रचलित नहीं हो सकेगी ऐसा मेरा मानना है । मेडिकल तथा सर्जिकल प्रकार के इस उपचार के उपरांत नियमित व्यायाम, प्रसन्नचित्त्, लोगों से मिलना और योगोपचार इत्यादि भी सही उपचार के उपयोगी परिबल है, जो निश्चितरूप से मरीज के उपचार में भूमिका निभाते है। संक्षिप्त में, पार्किन्सन रोग से अब डरने की बिलकुल जरूरत नहीं है। संभव हो उतना जल्द निदान, सही उपचार, निष्णात फिजिशियन अथवा न्यूरॉफिजिशियन का मार्गदर्शन, ग्रूप थेरापी(समूह चिकित्सा), व्यायाम-योग और आवश्यकता अनुसार सर्जरी आदि द्वारा इस रोग को महद् रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। अहमदाबाद, मुंबई जैसे शहरो में पार्किन्सोनिझम से पीडित मरीजों का एसोसिएशन (संगठन-मंडल) है, जहां ईन मरीजों को उपयोगी जानकारी देते हैं, ग्रूप में योग-ध्यान, व्यायाम सीखाते है और अच्छी सेवाएं प्रदान करते हैं।
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