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________________ 7 - आधाशीशी और अन्य सिरदर्द एवम् वर्टिगो (Migraine, other headaches & vertigo) 93 यह सब करने के उपरांत कभी-कभी विशिष्ट प्रकार की सर्जरी भी लम्बे समय तक चलनेवाले चक्कर में सहायक होती है । गांठवाले केस में तो गांठ निकालनी ही पडती है । मस्तिष्क में रक्त परिभ्रमण की कमी हो तो, उसका भी योग्य उपचार करना पड़ता है। इन सभी उपचार पद्धतियोंसे चक्कर के चक्कर से छूटा जा सकता है - राहत मिल सकती है। (सुखियाँ कई व्यक्तिओं को हर थोडे दिनो में या हप्तो में एक तरफ का सरदर्द होता है, जो कि आधाशीशी हो सकता है । यह काम करने से बढ़ता है ।। • कई बार डकार-उलटी आना, आंखो के सामने अंधेरा छाना, प्रकाश सहन नहि कर पाना जैसे लक्षण भी साथमें होते है। आहार और जीवनशैली में बदलाव के कारण भी आधाशीशी का रोग हो सकता है। नस शरीर के जितने हिस्से में संवेदना पहुँचाती है, उतने हिस्से में नस अमुक प्रकार का दर्द उत्पन्न करें इसे न्युराल्जिया कहते है। मस्तिष्क की पांच नंबर की नस जिसे ट्राइजेमिनल कहा जाता है, उसमें होनेवाले इस प्रकार के दर्द को ट्राइजेमिनल न्युराल्जिया कहा जाता है । • यह दर्द बिजली के करंट जैसा अल्प समय तक होता है, लेकिन अत्यंत पीडादायक होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001801
Book TitleMastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudhir V Shah
PublisherChetna Sudhir Shah
Publication Year2008
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Science, & Medical
File Size17 MB
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