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यक्षी
गरुड
जैनधर्म और तान्त्रिक साधना ३२ सं० जिन
लांछन
यक्ष ११. श्रेयांसनाथ खड्गी (गेंडा) ईश्वर (श्वे० दि०). मानवी. श्रीवत्सा (श्वे०).
यक्षराज, मनुज (श्वे०) गौरी (दि०) १२. वासुपूज्य
महिष कुमार
चण्डा-प्रचण्डा, अजिता.
चन्द्रा (श्वे०), गान्धारी (दि०) १३. विमलनाथ
वराह
षण्मुख (श्वे० दि०). विदिता (श्वे०). वैरोटी
चतुर्मुख (दि०) (दि०) १४. अनन्तनाथ श्येनपक्षी (श्वे०). पाताल
अंकुशा (श्वे०), अनन्तमती रीछ (दि०)
(दि०) १५. धर्मनाथ
किन्नर
कन्दर्पा, पन्नगा (श्वे०).
मानसी (दि०) १६. शान्तिनाथ
निर्वाणी (श्वे०), महामानसी
(दि०) १७. कुंथुनाथ
छाग गन्धर्व
बला, अच्युता, गान्धरिणी
(श्वे). जया (दि०) १८. अरनाथ
नन्द्यावर्त (श्वे०), यक्षेन्द्र, यक्षेश्वर (श्वे०), धारणी, धारिणी (श्वे०),
मत्स्य (दि०) खेन्द्र (दि०) तारावती (दि०) १६. मल्लिनाथ
कलश कुबेर
वैरोट्या,धरणप्रिया (श्वे०).
अपराजिता (दि०) रू, मुनिसुव्रत कूर्म
नरदत्ता, वरदत्ता (श्वे०).
बहुरूपिणी (दि०) २१. नमिनाथ नीलोत्पल भृकुटि
गांधारी (श्वे०) चामुण्डा
(दि०) २२. नेमिनाथ
शंख गोमेध
अम्बिका (श्वे०,दि०). या अरिष्टनेमि
कुष्माण्डी (श्वे०)
कुष्माण्डिनी (दि०) २३. पार्श्वनाथ
पार्श्व, वामन (श्वे०) पद्यावती
धरण (दि०) २४. महावीर (या वर्धमान) सिंह मातंग
सिद्धायिका (श्वे० दि०). सिद्धायिनी (दि०)
वरुण
सर्प
* प्रस्तुत तालिका डॉ० मारुतिनन्दन तिवारी की पुस्तक 'जैन प्रतिमा विज्ञान' के परिशिष्ट १ से उद्धृत की गई है। एतदर्थ लेखक उनका आभारी है।
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