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________________ ३६५ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना इसके संग्रहकर्ता गणि धुरन्धरविजय, मुनि जम्बूविजय एवं मुनि तत्त्वानन्दविजय है। यह जैनसाहित्य विकासमण्डल बम्बई से प्रकाशित है। १. अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय-श्री हेमचन्द्राचार्य, २. आचार दिनकर-श्री वर्धमान सूरि, ३. उपदेशतरंगिणी-श्री रत्नमंदिरगणि, ४. ऋषिमण्डलस्तवन यन्त्र-श्री सिंहतिलकसूरि, ५. जिनपञ्जर स्तोत्र-श्री कमलप्रभसूरि, ६. जिनसहस्रनाम स्तवनम्-पण्डित आशाधर, ७. तत्वार्थसार दीपक-भट्टारक श्री सकलकीर्ति, ८. तत्वानुशासन-श्रीमन्नागसेनाचार्य, ६. द्वात्रिंशद्-द्वात्रिंशिका-उपाध्याय श्री यशोविजयजी, १०.धर्मोपदेशमाला-श्री जयसिंहसूरि, ११. नमस्कार महात्म्यम्-श्री सिद्वसेनसूरि, १२. पञ्चनमस्कृतिदीपक-श्री सिंहनन्दि, १३. पञ्चनमस्कृतिस्तुति - श्रीजिनप्रभसूरि, १४. पञ्चपरमेष्ठि नमस्कारस्तव-श्री जिनप्रभसूरि, १५. परमात्मपञ्चविशंतिका-श्रीयशोविजयगणि, १६. परमेष्ठिविद्यायन्त्रकल्प-श्री सिंहतिलकसूरि, १७. मन्त्रराजरहस्य-श्री सिंहतिलकसूरि, १८. मन्त्रसार समुच्चय-श्री विजयवर्णी, १६. मातृकाप्रकरण-श्री रत्नचन्द्र गणि, २०. मायाबीजकल्प-जिनप्रभसूरि, २१. लघुनमस्कारचक्रस्तोत्र-श्री सिंहतिलकसूरि, २२. वीतराग स्तोत्र-श्रीमद् हेमचन्द्राचार्य, २३. शक्रस्तवः-सिद्धर्षि २४. श्राद्धविधिप्रकरण-श्रीरत्नशेखरसूरि, २५. श्रीअभयकुमारचरित्रश्रीचन्द्रतिलकोपाध्याय, २६. श्री जिनसहस्रनामस्तोत्रम्-श्री विनयविजयगणि, २७. पञ्चपरमेष्ठिस्तव-अज्ञात, २८. श्री सिद्धहेमचन्द्रशब्दानु- शासनश्रीहेमचन्द्र सूरि, २६. श्री हरिविक्रमचरित- श्री जयतिलकसूरि, ३०. षोडशक प्रकरण-श्री हरिभद्रसूरि, ३१. संस्कृतद्वयाश्रयमहाकाव्य-श्री हेमचन्द्राचार्य, ३२. सिद्वभक्त्यादिसंग्रह-आचार्य श्री पूज्यपाद, ३३. सुकृतसागर-श्री रत्नमण्डन गणि, ३४. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित -श्री हेमचन्द्राचार्य - इस प्रकार इसमें तंत्र सम्बन्धी लगभग पैंतीस ग्रन्थों या ग्रन्थांशों का संकलन हुआ है। लघुविद्यानुवाद यन्त्र, मन्त्र और तन्त्र विद्या का यह एक मात्र सन्दर्भ ग्रन्थ है। विद्यानुवाद आदि की हस्तलिखित प्रतों और हस्तलिखित गुटकों के आधार पर यह ग्रन्थ तैयार किया गया है। यह पाँच खण्डों में विभाजित है। इसके प्रथम खण्ड के प्रारम्भ में ऋषभादि चौबीस तीर्थंकर की वंदना की गयी है। तदुपरान्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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