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________________ ३६४ जैन धर्म का तंत्र साहित्य एवं मालवी बोली में लिखा गया है। इसमें कहीं-कहीं मुस्लिम शाबर मंत्र एवं वैष्णव मंत्र भी मिलते हैं। मंत्र,यंत्र एवं तंत्र का यह एक अनुपम ग्रन्थ है। यह ग्रंथ भी सोहनलाल जी के संग्रहालय में सुरक्षित है। सूरिमंत्रकल्पसंदोह यह एक संग्रह ग्रन्थ है जिसमें पूर्वाचार्य द्वारा विरचित सूरिमंत्रों को संगृहीत किया गया है। यह ग्रन्थ पन्द्रह परिशिष्टों में विभक्त गुजराती भाषान्तर सहित विविध चित्रों से समन्वित है। इसके प्रारम्भ में मेरुतुंगसूरिरचित सूरि मुख्यमंत्रकल्प का अनुवाद किया गया है। तत्पश्चात् विविध विद्याओं एवं मंत्रों का विवरण भी दिया गया है। यथा श्री मेरुतुंगसूरिविरचित सूरिमुख्यमंत्रकल्प, अज्ञातसूरिकृत-सूरिमंत्रकल्प आदि प्राकृत भाषा में तथा श्री सिंहतिलक सूरिविरचित-श्रीवर्धमानविद्याकल्प तथा वर्धमान विद्याकल्प में यंत्रलेखनविधि आदि संस्कृत भाषा में निबद्ध हैं। इसके संपादक पंडित अंबालाल प्रेमचन्द शाह 'न्यायतीर्थ' हैं। सूरिमंत्रकल्पसमुच्चय जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह भी अनेक सूरिमंत्रों का संग्रह ग्रंथ है। इन सूरिमंत्रों के रचयिता अनेक पूर्वाचार्य हैं। इनका संग्रह मुनि श्री श्री जम्बूविजय ने किया है। यह पुस्तक दो भागों में जैन साहित्य विकासमण्डल वीलेपारले, मुंबई से प्रकाशित है। इसके प्रथम भाग में सिंहतिलकसूरिविरचित मंत्रराजरहस्यम्, जिनप्रभसूरिविरचित सूरिमंत्र बृहत् कल्पविवरणम् (गणधरमन्त्र विवरणम्) जिनप्रभसूरिविरचित-देवतावसर विधि, राजशेखरसूरि विरचितसूरिमंत्रकल्प और मेरुतुंगसूरिविरचित-श्रीसूरिमुख्यमंत्रकल्प का संकलन किया गया है। इसके द्वितीय भाग में अज्ञातसूरिकृत-सूरिमंत्रकल्प, श्रीदेवाचार्यगच्छीय सूरिशिष्य रचित दुर्गपदविवरणम्, लब्धिपदप्रकाशककल्प, अंचलगच्छ के आम्नाय के अनुसार वाचनाचार्य-सूरिमंत्रादीनां विचारः, श्रीसूरिमंत्रस्मरणविधिः, संक्षिप्तसूरिमंत्रविचारः, अज्ञातकर्तृक-सूरिमंत्रसंग्रहः, विविधाः सूरिमंत्रप्रकाशः, श्रीसूरिमंत्र स्तोत्राणि, प्रवचनसार मगङ्गलम् आदि का संग्रह है। इसमें सात परिशिष्ट गये हैं। नमस्कार स्वाध्याय यह भी एक संग्रह ग्रंथ हैं। इसमें श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा के नमस्कार मंत्र की साधना से संबंधित ग्रंथों एवं ग्रथांशों का संकलन किया गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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