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________________ ३४२ तान्त्रिक साधना के विधि-विधान धीरे-धीरे कंधों के पास लाएं, कंधों के पास अंगुठों को लगाकर हथेलियों को खुला एवं सीधा रहने दें। श्वास छोड़ते हुए वापस धीरे-धीरे सीने के मध्य आनन्द केन्द्र पर हाथों को नमस्कार की स्थिति में लावें । यह 'आचार्य' मुद्रा है। निष्पत्ति (शुद्धाचार) आचार्य अर्हंत के प्रतिनिधि होते हैं। आचरण की शुद्धता के लिए आचार्य का जीवन दिशा-सूचक है। आचार्य मुद्रा से शुद्धाचार की ओर व्यक्ति उन्मुख होता है। आनंद केन्द्र पर हाथ जोड़कर वह आचार्य का विनय करता है। दोनों हाथों को कंधों के पास ले जाकर खुला रखकर वह आचार्य के मार्ग दर्शन के प्रति खुले दिल से समर्पित होता है। शारीरिक दृष्टि से आचार्य मुद्रा से सीना और फेफड़े पुष्ट होते हैं। कंधे और हाथों की मांसपेशियां भी सक्रिय होती हैं । थाइमस ग्रंथि के स्राव संतुलित होते हैं। ४. उपाध्याय मुद्रा विधि:- सुखासन में ठहरें। सीने के मध्य आनंद केन्द्र पर दोनों हाथों को मिलाकर नमस्कार की मुद्रा में आएं। ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाण' का उच्चारण करें। श्वास भरते हुए दोनों हथेलियों को धीरे-धीरे आकाश की ओर ले जाएं, बाहों को कानों से स्पर्श करें, हथेलियों को आकाश की ओर खोल दें। दोनों अंगूठों का अगला भाग मिला रहें। सिर को गर्दन के पीछे की तरफ ले जाकर अनिमेष दृष्टि से आकाश को देखें। श्वास छोड़ते हुए पुनः हाथों को नमस्कार की मुद्रा में आनन्द केन्द्र पर ले आएं। गर्दन को सीधा करें, पूर्व स्थिति में आ जाएँ । निष्पत्ति (सम्यक ज्ञान - दर्शन ) सम्यक ज्ञान और श्रद्धा मुक्ति का आधार है। ज्ञान और दृष्टि की आराधना उपाध्याय का जीवन है। ज्ञान और दृष्टि की आराधना करने वालों के लिए उपाध्याय का जीवन एक आदर्श है । उपाध्याय मुद्रा से उपाध्याय के प्रति विनय तथा ज्ञान दृष्टि से विशालता होती है। शारीरिक दृष्टि से थाइराइड और पेराथाइराइड, पिनियल और पिटयूईटरी ग्रंथियों के स्राव संतुलित होते हैं जिससे ज्ञान दर्शन का सीधा संबंध है । ५. मुनि मुद्रा विधिः- सुखासन में ठहरें। सीने के मध्य आनन्द केन्द्र पर दोनों हाथों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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