________________
ध्यान साधना और जैनधर्म
२९९ संदर्भ
१. Mohenjodaro and Indus Civilization, John Marshall Vol. I.
Page 52. २. Dictionary of Pali Proper Names, By J.P. Malal Sekhar (1937)
Vol. I. P. 382-83. ३. सूत्रकृतांग १/३/४/२-३ ४. स्थानांग १०/१३३ (इसमें अन्तकृत्दशा की प्राचीन विषयवस्तु का उल्लेख
५. इसिभासियाइं- (ऋषिभाषित) अध्याय २३ ६. वही, अध्याय २३ ७. इसिभासियाई २२/१४ ८. उत्तराध्ययन सूत्र २६/१८ ६. श्रमणसूत्र (उपाध्याय अमरमुनि). प्रथम संस्करण पृ. १३३-१३४ १०. उत्तराध्ययन सूत्र २३/५५-५६ ११. भगवद्गीता ६/३४ १२. तत्त्वार्थसूत्र ६/२७ १३. गीता ६/३४ १४. उत्तराध्ययन सूत्र २३/५६ १५. पुढो छंदा इह माणवा, पुढो दुक्खं पवेदितं। - आचारांग १/५/२/२४ ___अणेगचित्ते खलु आयं पुरिसे, से केयणं अरिहए पूरइत्तए- आचारांग ५/३/२ १६. ध्यानशतक (झाणाज्झयण) ६३-६६ १७. वही ६७–१०० १८. वही १०१ १६. वही १०२ २०. ध्यानशतक (वीरसेवामंदिर) १०३ २१. वही १०४ २२. आवश्यकनियुक्ति १४६२ २३. आवश्यकसूत्र- आगारसूत्र (श्रमणसूत्र-अमरमुनि) प्र०सं०पृ० ३७६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org